2018 साल की पहली पौष पूर्णिमा को सूर्य-चंद्र का अद्धुत संयोग दिलाएेगा कष्टों से मुक्ति

Sunday, Dec 31, 2017 - 07:00 AM (IST)

सोमवार दि॰ 01.01.18 को पौष पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा ज्योतिषशास्त्र अनुसार पौष महीने में सूर्य देव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तप करके सर्दी से राहत देते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान, दान व सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। पौष पर सूर्य का व पूर्णिमा पर चंद्रमा का आधिपत्य है। सूर्य-चंद्र का यह अद्भुत संयोग मात्र पौष पूर्णिमा को मिलता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे तेज पर होता है। साल 2018 में पौष पूर्णिमा 1 व 2 जनवरी अर्थात सोम व मंगल को मनाई जाएगी। यह साल 2018 की पहली पूर्णिमा है। मान्यतानुसार पौष मास के दौरान जो लोग पूरे महीने विष्णु व शिव का ध्यान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उसकी पूर्णता पौष पूर्णिमा के स्नान से होती है। महाभारत के एक दृष्टांत अनुसार पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक अनेक तीर्थों का समागम होता है। पौष पूर्णिमा को प्रातः काल में पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें, स्नान कर संकल्प लेकर सूर्य को अर्घ्य देते है। फिर मंत्र जाप कर दान देते है जिससे कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन सूर्य-चंद्र की उपासना से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है व ग्रह बाधा शांत होती है।


विशेष पूजन: प्रातः में विष्णु-सूर्य व सांझ में शिव-चंद्र  का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन से धूप करें, सफ़ेद चंदन चढ़ाएं, सफ़ेद फूल चढ़ाएं, साबूदाने की खीर का भोग लगाकर 108 बार इन विशिष्ट मंत्रों का जप करें। इसके बाद खीर गरीबों में बाटें। प्रातः में सूर्य को व सांझ में चंद्र को अर्घ्य दें। 

 

सूर्य पूजन मंत्र: ॐ आदित्याय नमः॥

हरि पूजन मंत्र: ॐ नमो नारायणाय॥

चंद्र पूजन मंत्र: ॐ सोमाय नमः॥

शिव पूजन मंत्र: ॐ नमो  नीलकंठाय॥

 

उपाय
सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु चंदन व शहद मिले दूध में छाया देखकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। 


कष्टों से मुक्ति हेतु जल भरे ताम्र कलश में शक्कर व तिल मिलकर सूर्य को अर्घ्य दें।

 

ग्रह बाधा शांति हेतु सफेद वस्त्र में बंधे नवधान सिर से 9 बार वारकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

Aacharya Kamal Nandlal

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