वृष राशि के लोगों में होती हैं गुप्त शक्तियां, जानें उनसे जुड़ी खास बातें

punjabkesari.in Tuesday, Mar 27, 2018 - 01:21 PM (IST)

राशि चक्र की द्वितीय राशि वृष स्थिर स्वभाव की, सौम्य प्रकृति की स्त्री सूचक राशि है। पृथ्वी तत्व और दक्षिण दिशा का नियमन करने वाली यह राशि मानव शरीर में मुख का प्रतिनिधित्व करती है। यह पृष्ठोदय राशि है। इस राशि का स्वामी शुक्र है। चन्द्रमा इसमें उच्च का होता है। 4 से 30 अंश तक चंद्रमा मूल त्रिकोण में संस्थित होता है। राहू  इसमें उच्च और केतु नीच का होता है। इसका नैसर्गिक स्वभाव स्वार्थपूर्ण, विवेकपूर्ण, परिश्रम सम्पन्न और सांसारिक व्यवहार में कुशल आचरण होता है। वृष लग्न की गणना श्रेष्ठ लग्नों में की जाती है। इस लग्न में जन्मे लोग भाग्यशाली, धनी, सुखी व यशस्वी होते हैं। यह राशि कालपुरुष की ग्रीवा का प्रतिनिधित्व करती है तथा वृषभ राशि का सांकेतिक चिन्ह दोनों ओर विशाल सींगयुक्त बैल अर्थात् वृषभ है। वृष लगन वाले जन्मांग से प्राय: क्षीणकाय होता है। उसका मुंह गोल, गर्दन छोटी-मोटी और जंघा पुष्ट होती है। कन्धे बलशाली और उन्नत तथा बाहु छोटे-गठीले होते हैं। उसके मुखाकार पर आत्मसम्मान और अभिजात मानसिकता के चिन्ह अंकित रहते हैं। संगीत, वस्त्राभूषण, आकर्षक वस्तु और पर्यटन के प्रति सहज रुचि होती है। उसके व्यवहार और उसकी गति-मति में अद्भुत सुनिश्चितता होती है। ऐसे व्यक्तियों को सहज ही मोटा हो जाने का भय हो जाता है। 


वृष लग्न की जातिकाओं के शारीरिक सौन्दर्य में उनके पैरों तथा नितम्ब प्रदेश की मांसल सुडौलता का सर्वाधिक महत्व होता है। उनके नेत्र विशाल और सुन्दर होते हैं। कान प्राय: बड़े होते हैं,मस्तक चौड़ा होता है और देखने में भव्य आकृति होती है। वृष लग्न के जातक में कभी-कभी स्वाभिमान अहंकार का रूप ले लेता है। अपनी त्रुटिपूर्ण बात पर भी दृढ़ रहते हैं। ऐसा जातक बहुत प्यार करने वाला तथा इस सन्दर्भ में सच्चा होता है। अधिकार-प्रियता, उद्विग्न चित्तावस्था और शान्तिप्रियता उसकी प्रकृति होती है। वह धैर्य और सहिष्णुता, ईर्ष्या से ओत-प्रोत रहता है। उसे दुख में अत्यन्त सहनशीलता प्राप्त रहती है। किसी अन्य के परामर्श से उसे वितृष्णा होती है और हर काम वह अपने मन के अनुकूल करता है। वह दयापूर्ण, सदाशयी, सौभाग्यशाली और कामी होता है। विवाद में रुचि और गति प्राप्त रहती है। चित्तवृति गूढ़ होने के कारण हृदय का तथ्य शीघ्र उद्घाटित नहीं होता। अपने आनंदोपभोग के लिए सचेष्ट रहता है। मित्रों की संख्या बहुत होती है। वह धनी और मृदुभाषी होता है। जीवन का मध्य और अन्त अपेक्षाकृत अधिक सन्तोषप्रद होता है। भाग्योदय अकस्मात होता है। भूमि, पशुधन तथा प्रचुर द्रव्य का स्वामी बनता है। जातक गुरुजन-सम्मान में प्रवृत रहता है। यदि कन्या हो तो बहुत आकर्षण का केन्द्र बनती है, उसे देखकर ही पूर्ण कन्यावत स्वभाव तथा स्वरूप का बोध होता है।


वृषभ लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति की बात यदि ध्यानपूर्वक न सुनी जाए तो उसे बहुत क्रोध आता है। यहांं तक कि अधिक क्रोध आने पर वह वृषभ की तरह क्रोध करता है। उसे अपनी बौद्धिक क्षमता पर पूर्ण विश्वास होता है तथा अपने स्थायी सिद्धांतों पर दृढ़ रहता है। इसमें गजब की सहनशीलता होती है और एक प्रकार की गुप्त शक्ति और विशिष्ट ऊर्जा सन्निहित रहती है। ये अपने विचारों पर अमल करते हैं व प्यार और आनंद तथा मनोरंजन आदि उनकी कमजोरी होती है। सन्तान से सम्बद्ध सुख अपेक्षाकृत कम होता है। वृष लगन के व्यक्तियों के व्यक्तित्व में एक चुम्बकीय आकर्षण होता है।  


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