धनतेरस 2019: कौन है भगवान धनवंतरि कैसे हुआ इनका प्राकट्य?

Friday, Oct 18, 2019 - 11:44 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि से पूर्व दो दिन पहले हर साल द्वादशी की तिथि के दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था, जिस कारण इस दिन को धनतेरस के रूप में जाना जाने लगा। इस बार का धनतेरस का ये पर्व 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। यूं तो दिवाली से 2 दिन पहले यानि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा होती है परंतु क्योंकि इस बार ये शुक्रवार को पड़ रहा है और अब इतना तो सभी जानते हैं कि शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है इसलिए इस दिन इनके साथ इनकी पूजा करना भी अत्यंत फलदायी माना जाएगा। अब ये तो इस त्यौहार को मनाने की बात, मगर क्या आप जानते हैं आख़िर भगवान धनवंतरि है कौन। हिंदू धर्म में इनकी क्या विशेषता है तो अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको भगवान धनवंतिर के बारे में कि आखिर कैसे इनका प्राकट्य हुआ और कैसे इनकी पूजा का विधान शुरू हुआ।

धार्मिक शास्त्रों व ग्रंथों की मानें तो भगवान धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। कहा जता है भगवान धन्वंतरी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को कलश लेकर ही समुद्र से प्रकट हुए थे। यही कारण है कि धनतेरस के दिन धातु के बर्तन आदि खरीदने की परंपरा भी है। कुछ जगहों पर प्रचलित लोक मान्यताओं के अनुसार इस दिन खरीददारी करने से उस में 13 गुणा वृद्धि होती है। इसके अलावा इस अवसर पर लोग घर में धनिया के बीज भी खरीदकर रखते हैं जिन्हें दीपावली के बाद खेतों में बोया जाता है। माना जाता है ऐसा करने से घर में अन्न और धन के भंडार हमेशा-हमेशा के लिए भरे रहते हैं।

बता दें हिन्दू धर्म में धनवंतरि देवता को वैद्धय माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये एक महान चिकित्सक थे, जिन्हें देव पद प्राप्त था। हिन्दू धर्म के शास्त्रों की कथानुसार लोक कल्याण के लिए समुद्र मंथन से कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान विष्णु ने धन्वंतरि जी के रूप में अवतार लिया था। जिसके बाद से प्रतिवर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।

Jyoti

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