9 माह बाद आज खुला पशुपतिनाथ मंदिर, जाने से पहले पता कर लें नए नियम

Wednesday, Dec 16, 2020 - 05:52 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कोरोना काल में 9 महीने तक बंद रहने के बाद आज नेपाल के काठमांडू में स्थित प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर के कपाट खुल गए हैं। पशुपति एरिया डेवलपमेंट ट्रस्ट के मुताबिक, कोरोना काल में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और प्रोटोकॉल के तहत मंदिर को बंद किया गया था। लेकिन अब मंदिर को खोल दिया गया है।  सबसे पहले जान लेते हैं मंदिर खुलने के बाद भक्तों के लिए नियमों में क्या बदलाव किया गया है- 

भक्तों को मंदिर में प्रवेश करते वक्त मास्क लगाना जरूरी होगा
लाइन में खड़े भक्तों को एक दूसरे से कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाकर रखनी होगी
विकास कोष की तरफ से भक्तों को मंदिर में आने की अनुमति
विकास कोष पर ही सैनेटाइज की पूरी व्यवस्था की गई है
अभी विशेष पूजा और सामूहिक भजन-कीर्तन की अनुमति नहीं होगी


चलिए अब आपको बताते हैं कि पशुपतिनाथ मंदिर क्यों इतना ख़ास माना जाता है। यह हिंदुओं का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। हालांकि मान्यता प्राप्त बारह ज्योतिर्लिंगों में पशुपतिनाथ का नाम नहीं है फिर भी पशुपतिनाथ को दैदीप्यमान लिंग माना जाता है। मंदिर का नाम पशुपतिनाथ रखने के पीछे एक पौराणिक कथा है। 

सदियों पहले से काठमांडू अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बेमिसाल रहा है। ऐसी सुरम्य तपोभूमि के प्रति आकर्षित होकर एक बार आशुतोष शिव भी कैलाश पर्वत छोड़ यहीं आकर रम गए थे और यहां तीन सींगों वाला मृग बनकर इधर-उधर टहलने लगे। उधर भगवान शिव को गायब देखकर ब्रह्माजी और विष्णु जी को चिंता हुई और दोनों देवता शिवजी की खोज में निकल पड़े। 

ब्रह्मा जी ने योग विद्या से पहचान लिया कि तीन सींगों वाला मृग ही शिव हैं। ज्यों ही उन्होंने उछलकर मृग के सींग पकडऩे की कोशिश की, सींग के तीन टुकड़े हो गए। सींग का एक हिस्सा यहीं गिरा था और यह स्थान पशुपतिनाथ के नाम से विख्यात हो गया। देवताओं ने शिव से कैलाश पर्वत लौटने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने वहीं रहने का फैसला किया। शिवजी की इच्छानुसार भगवान विष्णु ने बागमती के ऊंचे टीले पर शिव को पशु योनि से मुक्ति दिलाकर लिंग के रूप में स्थापित किया।

 शिवलिंग कक्ष पशुपतिनाथ मंदिर के लम्बे-चौड़े आंगन के मध्य स्थित है। मंदिर के भीतर स्थापित शिवलिंग के चारों मुखों के ठीक सामने चारों दिशाओं के चार दरवाजे हैं। मंदिर के अंदर-बाहर की दीवारें चांदी की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उभरती हैं।


 

Jyoti

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