परिवर्तिनी एकादशी के दिन ज़रूर करना चाहिए इन मंत्रों का उच्चारण वरना...

Friday, Aug 28, 2020 - 03:06 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का महत्व है। मगर चार्तुरमास में आने वाली प्रत्येक एकादशी अधिक खास मानी जाती है क्योंकि इस दौरान श्री हरि विष्णु शयन करते हैं। जिसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन श्री हरि अपनी निद्रा से जाग कर अपने भक्तों पर खूब कृपा बरसाती हैं। आमतौर पर वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, मगर जब अधिक मास मलमास आता है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती हैं। 

बता दें इस एकाशी को जयंती एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है इस तिथि को यज्ञ करने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस दिन वामन द्वादशी भी होती है जिस कारण इस दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की आरधना की जाती है। कहा जाता है इनकी पूजा तीनों लोक में होती है। 

एकादशी का व्रत कभी भी रात्रि में समाप्त नहीं होता, बल्कि द्वादशी को पहले पहर में पारण किया जाता है यानि व्रत खोला जाता है। बता दें साल में पड़ने वाली हर एकादशी का पारण समय अलग-अलग होता है। एकादशी के दिन पारण समय तक उठकर स्नान आदि कर, दान के लिए अन्न या दक्षिणा आदि निकालनी चाहिए। उसके बाद ही कुछ ग्रहण करना चाहिए। 

बात करें एकादशी के दिन की, तो इस दिन श्री हरि की विधि वत पूजा तो की ही जानी चाहिए परंतु इस दौरान श्री हरि के मंत्रों का जप करना भी अधिक अनिवार्य होता है। लेकिन किन मंत्रों का जाप?

इस बारे में बहुत कम लोग पता है, मगर कहा जाता है इनके बारे में जानना हर विष्णु भक्त के लिए आवश्यक है शास्त्रों में वो कौन से मंत्र हैं जिनके जाप से भगवान विष्णु आप पर प्रसन्न हों। तो चलिए आपको बताते हैं इन चमत्कारी व आसान मंत्रों के बारे में- 


परिवर्तिनी एकादशी मंत्र : 
ॐ  नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

शांताकारं भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। 
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। 
लक्ष्मीकान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। 
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।। 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। 
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।। 
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा। 
ॐ नमो नारायणा।

Jyoti

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