आज प्रदोष काल में करें ये उपाय भोलेनाथ हाथ पकड़ पार करवाएंगे आपकी डूबती नैय्या

Friday, Jun 14, 2019 - 04:36 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं आज प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा का खासा महत्व है। प्रदोष काल में इनकी विशेष तौर से पूजा की जाती है बता दें सूर्यास्त के बाद का समय प्रदोष व्रत कहलाता है। शास्त्रों में इस समय की विशेषता के का साथ-साथ कई मंत्र और उपाय दिए गए हैं जिन्हें अगर प्रदोष व्रत करने वाला साधक अपना लेता है तो भोलेनाथ स्वयं उसका हाथ पकड़कर उसे डूबती नैय्या से पार करवा देते हैं। तो अगर आप भी चाहते हैं त्रिपुरारी आपके जीवन की सभी परेशानियों से आपको छुटकारा दिला दें तो आज किसी ही हालात में इन मंत्रों का जाप करना न भूलें।

स्नान समर्पण करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो। 
वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद्।।

यज्ञोपवीत समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः। 
 स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः।।

गंध समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च वो नमो नमो भवाय च रुद्राय च नमः।
शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च।।

अर्धनारीश्वर को समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च।
नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च।।

भगवान शिव को पुष्प समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमः पार्याय चावार्याय च नमः प्रतरणाय चोत्तरणाय च। 
नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः शष्प्याय च फेन्याय च।।

नैवेद्य समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नमः पूर्वजाय चापरजाय च।
नमो मध्यमाय चापगल्भाय च नमो जघन्याय च बुधन्याय च।।

ताम्बूल समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ इमा रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतीः।
यशा शमशद् द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्तिमन्ननातुराम्।।

सुगन्धित तेल समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमः कपर्दिने च व्युप्त केशाय च नमः सहस्त्राक्षाय च शतधन्वने च।
नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मेढुष्टमाय चेषुमते च।।

दीप दर्शन करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च।
नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च।।

बिल्वपत्र  समर्पित करते हुए उच्चारे ये मंत्र-
दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनं पापनाशनम्।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।

Jyoti

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