Kundli Tv- मार्गशीर्ष प्रदोष व्रतः इस पूजन विधि से करें भोलेनाथ को खुश

Monday, Dec 03, 2018 - 05:32 PM (IST)

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मार्गशीर्ष कृष्ण के द्वादशी के उपलक्ष्य में प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि सभी प्रकार के दोषों का नाश करती है इसी कारण इसे प्रदोष कहते हैं। सर्वप्रथम प्रदोष का ज्ञान भगवान शंकर ने देवी सती को बताया था। महर्षि वेदव्यास ने महर्षि सूत को बताया तथा गंगा तट पर महर्षि सूतजी ने सौनकादि ऋषियों को प्रदोष का ज्ञान दिया था। सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलता है। 

मान्यतानुसार प्रदोष के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। प्रदोष का पूजन वार के अनुसार करने का शास्त्रों में विधान बताया गया है। मंगलवार प्रदोष के व्रत पूजन और उपाय से सभी प्रकार की कामना सिद्ध होती है। महर्षि सूत अनुसार प्रदोष व्रत करने से भगवान शंकर से मुंह मांगा फल पाया जा सकता है। पराक्रम में वृद्धि होती है तथा कार्यों में आ रही अड़चनें दूर होती है। 

विशेष पूजन विधि: शिवालय शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, बिल्वपत्र चढ़ाएं, दूर्वा चढ़ाएं। पिस्ता की बर्फी का भोग लगाएं, इलायची व मिश्री चढ़ाएं तथा रुद्राक्ष की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।

पूजन मंत्र: ब्रीं बलवीराय नमः शिवाय ब्रीं॥

उपाय
पराक्रम में वृद्धि के लिए शिवलिंग पर चढ़े सूखे धनिए को कर्पूर से जलाएं।

सर्व कामना सिद्दी के लिए शिवलिंग पर चढ़ी इलायची किचन में रखें।

अड़चने दूर करने के लिए शिवलिंग पर मिश्री के जल से अभिषेक करें। 
फंसे हैं किसी विवाद में तो इस देवी की करें पूजा 

Lata

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