Papankusha Ekadashi: अनेकों अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य पाने के लिए करें ये काम

Wednesday, Oct 09, 2019 - 07:03 AM (IST)

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आज बुधवार 9 अक्टूबर आश्विन शुक्ल ग्यारस पर पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। इस एकादशी के प्रभाव से घोर से घोर पाप का नाश होता है। पुराणों के अनुसार, इस एकादशी के प्रभाव से हजार अश्वमेघ व सौ सूर्य यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। आज व्रत और रात में जागरण करने वाले मनुष्य गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं। मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से अनेकों अश्वमेघ यज्ञों और सूर्य यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्‍ति होती है।

पूजन विधि: घर की उत्तर-पूर्व दिशा में सफ़ेद कपड़े पर शेष शैया पर सोए विष्णु का वो चित्र रखें, जिसमें से उनकी नाभि से कमल उदय हो रहा हो। पीतल का कलश स्थापित करें। कलश में जल, दूध, सुपारी तिल व सिक्के डालें, कलश के मुख पर पीपल के पत्ते रखकर उस पर नारियल रखें तथा विधिवत पूजन करें। तिल के तेल का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, चंदन चढ़ाएं, नीले फूल चढ़ाएं व 11 केलों का भोग लगाएं तथा तुलसी की माला से 108 बार यह विशेष मंत्र जपें। 

स्पेशल पूजन मंत्र: ॐ पद्मगर्भाय नमः॥

पापांकुशा एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का आरंभ: 08 अक्‍टूबर की दोपहर 02:50 से
एकादशी तिथि विश्राम: 09 अक्‍टूबर की शाम 05:19 मिनट तक
पारण मुहूर्त: 10 अक्‍टूबर 2019 की सुबह 06:18 से लेकर सुबह 08:38 मिनट तक

दान करें ये सामान
वैसे तो किसी भी वस्तु का दान करना व्रत में अति उत्तम कर्म है परंतु इस दिन ब्राह्मणों को सुन्दर वस्त्र, सोना, तिल, भूमि, अन्न, जल, जूते, छाता, गाय और भूमि आदि का दान करने का महात्मय है। शास्त्रानुसार किसी भी वस्तु का दान करते समय यथासम्भव दक्षिणा देना भी अति आवश्यक है और मन में कभी भी देने का गर्व भी मन में नहीं करना चाहिए।

व्रत कथा
विन्ध्य पर्वत पर क्रुर बहेलिया रहता था। उसका सारा जीवन गलत कामों में व्यतीत हुआ। जब यमराज ने उसे अपने दरबार में लाने की आज्ञा दी तो दूतों ने यह बात उसे समय से पूर्व ही बता दी। मृत्यु के डर से वह अंगिरा ऋषि के आश्रम में गया और यमलोक की यातना से बचने के लिए उनसे उपाय पूछने लगा। अंगिरा ऋषि ने उसे आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष कि एकादशी को श्री हरी विष्णु की पूजा करने की सलाह देते हुए व्रत करने को कहा। उसने ऐसा ही किया, वे अपने सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में गया।

Niyati Bhandari

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