राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान जी ने धारण किया था पंचमुखी रूप

Sunday, Apr 28, 2019 - 12:58 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसे पढ़ने या सुनने मात्र से ही व्यक्ति को एक अलग ही शांति का आभास होता है। उसमें वर्णित हर एक प्रसंग बेहद ही खास रहा है। आज हम बात करेंगे एक ऐसे प्रसंग के बारे में जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। हम बात कर रहे हैं श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण के अपहरण के बारे में जोकि अहिरावण द्वारा किया गया था और इसी दौरान हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। लेकिन क्या किसी को मालूम है कि आखिर क्यों उन्हें पंचमुखी रूप लिया। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं विस्तार से इस घटना के बारे में- 

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पंचमुखी हनुमान जी के इस स्वरूप में उत्तर दिशा में वाराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूरब दिशा में हनुमान मुख। पौराणिक कथा जिसके बारे में बहुत कम लोग परिचित हैं। जिसके अनुसार जब राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध हो रहा था और रावण अपने पराजय की ओर था। तब इस समस्या से उभरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को याद किया जो मां दुर्गा का परम भक्त होने के साथ-साथ तंत्र-मंत्र का भी जानकार था। अहिरावण ने अपनी माया के दम पर भगवान श्रीराम की सारी सेना को नींद में सुला दिया। फिर राम और लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया। इसके कुछ समय बाद जब माया का प्रभाव कम हुआ तब रावण के भाई विभीषण ने यह जान लिया कि यह कार्य अहिरावण का है और तभी उसने हनुमान जी को राम और लक्ष्मण की मदद करने के लिए पाताल लोक जाने को कहा। 

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जब हनुमान जी पाताल लोक पहुंचे तो उन्हें अपने सामने एक मां भवानी की एक बड़ी से मूर्ति मिली। जिसके नीचे श्रीराम और लक्ष्मण जी को बंधक बना हुआ पाया। दोनों को देख हनुमान जी के चेहरे पर खुशी आ गई। परंतु वे दुविधा में पड़ गए, जिसका कारण आसपास जलते हुए दिए थे। उस महल की अलग-अलग दिशाओं में पांच दीपक जल रहे थे। साथ ही मां भवानी के सम्मुख राम और लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी थी। यह देख हनुमान जी समझ गए कि यदि उन्हें अहिरावण का अंत करना है तो इन पांचों दीपकों को एक साथ बुझाना होगा। लेकिन वे इसे करें तो करें कैसे क्योंकि वे अकेले थे। लेकिन तभी उन्हें अपने पंचमुखी अवतार का ज्ञान हुआ और उसी समय उन्होंने अपना पंचमुखी हनुमान रूप धारण किया। पंचमुखी रूप धारण करते ही हनुमान जी ने एक साथ पांचों दीपकों को बुझाया और अहिरावण का अंत कर श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया। 

Lata

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