कमला एकादशी पर ये स्तोत्र  करेगा आपकी हर Wish पूरी

Saturday, Sep 26, 2020 - 05:05 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
यूं तो हर मास में एकादशी तिथी पड़ती है, जिस दिन श्री हरि का पूजन श्रेष्ठ रहता है। मगर अधिक मास में आने वाली एकादशी अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसका कारण है तीन साल बाद 1 बार पड़ने वाला अधिक मास जिसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की तरह ये महीना भी अधिक प्रिय है। कहा जाता है शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि भगवान विष्णु ने स्वयं कहा है कि जो भी इस मास में मेरी सच्ची श्रद्धा भावना से पूजा करता है उस पर मैं अपनी अपार कृपा करूंगा। 

जाहिर है कि जो मास इतना पावन व शुभ होगा तो उसमें आने वाली एकादशी का भी अधिक महत्व होगा। अपनी वेबसाईट के माध्यम से हम आपको इससे जुड़ी काफी जानकारी दे चुके हैं, इसी बीच अब हम आपको बताने वाले हैं कमला एकादशी के बारे में जिसे धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार पद्ममिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है इस दिन श्री हरि विष्णु का विधि वत पूजन किया जाता है। साथ ही साथ इनके मंत्रों का भी उच्चारण करना चाहिए। इसके अलावा शास्त्रों में इनके कई स्तोत्र आदि भी बताए गए हैं। यहां जानें संपूर्ण श्री नारायण स्तोत्रम्- 

मान्यता है प्रतिदिन नियमित रूप से श्री नारायण स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्‍य की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

आइए जानें सम्पूर्ण नारायण स्तोत्र:-
नारायण नारायण जय गोविंद हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥

मंजुलगुंजाभूषा मायामानुषवेषा ॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥
अधबकक्षयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे ॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर ॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥
वालिविनिग्रहशौर्या वरसुग्रीवहितार्या ॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणविविधधनाढ्या ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥
अचलोद्घृतिञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥

। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ।

Jyoti

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