शनिवार के दिन करें इन मंत्रों का उच्चारण, संवर जाएगी अपकी किस्मत
punjabkesari.in Friday, Nov 10, 2017 - 09:39 AM (IST)

शास्त्रों के मुताबिक शनिदेव का स्वभाव क्रूर है। लोक व्यवहार में शनिदेव से जुड़ी आस्था का एक कारण भय और संशय है क्योंकि शनि की टेढ़ी चाल और नजर से जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। इसलिए अक्सर यह देखा जाता है कि शनि की दशा ज्ञात होने पर व्यक्ति व्यर्थ परेशानियों से बचने के लिए शनि की शांति के उपाय अपनाते हैं।
असल में, शनि के स्वभाव का दूसरा पहलू यह भी है कि शनि के शुभ प्रभाव से रंक भी राजा बन सकता है। शनि को तकदीर बदलने वाला भी माना गया है। इसलिए अगर सुख के दिनों में भी शनि भक्ति की जाए तो उसके शुभ फल से सुख-समृद्धि बनी रहती है। शास्त्रों में शनि की प्रसन्नता के लिए एेसे ही कुछ मंत्र बताए गए हैं। इसके प्रभाव से घर-परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। वहीं जीवन का कठिन या तंगहाली का दौर भी आसानी से कट जाता है।
श्री शनि वैदिक मंत्र
ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः।
इस मंत्र का जप करने से शनि की साढ़ेसाती का बुरा असर खत्म हो जाता है। ध्यान रखें कि 23,000 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
श्री शनि बीज मंत्र
ॐ शं शनैश्चरायै नम:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।।
इस मंत्र का जाप शनिवार को ही करें। यह साढ़ेसाती के भय से मुक्ति पाने का सबसे आसान उपाय है और इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
श्री शनि पौराणिक मंत्र
श्री नीलांजन समाभासं, रवि पुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम ।।
इस मंत्र का जाप करने से शनि की प्रसन्नता प्राप्त होती है, जिससे घर के ग्रह कष्ट दूर होते हैं।
शनिवार या हर रोज इन मंत्रों के जाप से पूर्व शनिदेव की पूजा करें। गंध, अक्षत, फूल, तिल का तेल चढ़ाएं और तेल से बने पकवान का भोग लगाएं। पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करें या शनिदेव को तेल चढ़ाते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-
मंत्र- ॐ नमो भगवते शनिश्चराय सूर्य पुत्राय नम:
पूजा व मंत्र जप के बाद शनिदेव की आरती करें और शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे काली उड़द या लोहे की सामग्री का दान करें।