इस मंत्र के 3 अक्षरों में है त्रिदेव का वास, क्या जानते हैं आप ?

Monday, Dec 30, 2019 - 11:36 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में भगवान को प्रसन्न करने के लिए बहुत से मंत्र व पूजा विधि के बारे में बताया गया है। इस बात को तो सब जानते ही हैं कि हर मंत्र की शुरुआत ॐ के उच्चारण से ही होती है। सनातन संस्कृति में ॐ का उच्चारण अत्यंत पवित्र एवं प्रभावशाली माना गया है। जिसके तीन अक्षरों में त्रिदेव  यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की साक्षात उपस्थिति है। इसके उच्चारण में अ+उ+म् अक्षर आते हैं, जिसमें 'अ' वर्ण 'सृष्टि' का घोतक है 'उ' वर्ण 'स्थिति' दर्शाता है जबकि 'म्' 'लय' का सूचक है। शास्त्रों के अनुसार ॐ के जाप से तीनों शक्तियों का एक साथ आवाहन हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों को देने वाला है। ॐ कार ब्रह्मनाद है और इस शब्द के स्मरण, उच्चारण व ध्यान से आत्मा का ब्रह्म से संबंध बनता है। 

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि 'ॐ महामंगलकारी मंत्र है। प्रतिदिन ओंकार का स्मरण करने से मेरा ही सदा स्मरण होता है। मेरे उत्तरवर्ती मुख से आकार का, पश्चिम मुख से उकार का, दक्षिण मुख से मकार का, पूर्ववर्ती मुख से बिंदु का व मध्यवर्ती मुख से नाद का प्राकट्य हुआ। इस प्रकार पांच अवयवों से एकीभूत होकर वह प्रणव 'ॐ' नामक एक अक्षर हो गया। यह मन्त्र शिव और शक्ति दोनों का बोधक है। इसी से पंचाक्षर मंत्र की उत्पत्ति हुई है। 

गीता के आठवें अध्याय में परमेश्वर श्री कृष्ण ने कहा है 'मन के द्वारा प्राण को मस्तक में स्थापित करके, योगधारण में स्थित होकर जो प्राणी ॐ का उच्चारण और उसके अर्थ स्वरुप मुझ निर्गुणं ब्रह्म का चिंतन करता हुआ शरीर का  त्याग करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है।'

Lata

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