अब वाराणसी में देवी-देवताओं ने पहने मास्क

Wednesday, Nov 20, 2019 - 09:14 AM (IST)

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वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र है और यह अत्यधिक वायु प्रदूषण के मामले में अपवाद नहीं है, जिसने उत्तर भारत को एक तरह से बंधक बना रखा है, विशेष रूप से दीवाली के बाद। वाराणसी की हवा में पी.एम. 2.5 इस सप्ताह 500 के आंकड़े को छू गया। दिनों-दिन वायु की गुणवत्ता बिगडऩे के साथ, इस पवित्र शहर में भक्त देवी-देवताओं को विषाक्त हवा से बचने में मदद करने के लिए उनके चेहरों को प्रदूषण रोधी मास्क के साथ ढक रहे हैं। 

शहर के डाऊनटाऊन सिगरा में प्रसिद्ध शिव-पार्वती मंदिर में भगवान शिव, देवी दुर्गा, देवी काली और साई बाबा के चेहरे मुखौटों से ढके गए हैं। पर्यावरण की भयावह स्थिति को देखते हुए मंदिर के पुजारी हरीश मिश्रा और भक्तों ने बाबा भोलेनाथ समेत देवी दुर्गा और काली माता समेत साई बाबा का पूजन कर उन्हें मास्क पहनाया।

पुजारी हरीश मिश्रा ने कहा कि वाराणसी विश्वास का स्थान है। वे अपनी मूर्तियों को जीवित देवता के रूप में मानते हैं और उन्हें खुश और आरामदायक बनाने के लिए कष्ट उठाते हैं। गर्मियों में मूर्तियों को ठंडा रखने के लिए उन पर चंदन का लेप किया जाता है और सर्दियों में वे उन्हें गर्म कपड़ों से ढकते हैं। इसी तरह प्रदूषण से बचाने के लिए उन्होंने उनके चेहरे पर मास्क लगा दिए हैं। लेकिन देवी काली का चेहरा ढकना बहुत टेढ़ा काम साबित हुआ। मिश्रा ने बताया कि वह गुस्से वाली देवी हैं और यह माना जाता है कि उनकी बाहर निकली जीभ को ढका नहीं जाना चाहिए। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि उनके चेहरे को न ढका जाए। मिश्रा ने कहा कि अपने देवताओं के ढके हुए चेहरों को देखते हुए मंदिर आने वाले कई श्रद्धालुओं ने भी प्रदूषण रोधी मास्क पहनना शुरू कर दिया है।

मिश्रा के अनुसार शहर का प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने तरीके से बढ़ते प्रदूषण में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि खराब हवा ने लोगों को दीवाली पर पटाखे फोडऩे से नहीं रोका। अब हर जगह धुंध है लेकिन इसके बारे में कुछ करने की बजाय, नगरपालिका के कर्मचारी खुले में कचरा जलाकर संकट को और बढ़ा रहे हैं। इसलिए रोने-धोने के बावजूद, लोग संकट में अपना योगदान दे रहे हैं। इससे लडऩे के लिए जब तक लोग एकसाथ आगे नहीं आएंगे, तब तक स्थिति नहीं बदलेगी।

Niyati Bhandari

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