ये एक सीख दूर कर सकती हैं आपकी हर तकलीफ

Thursday, May 16, 2019 - 10:20 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
नगर के बाहर एक संत का आश्रम था। वहां दूर-दूर से लोग उनके उपदेश सुनने के लिए आते। एक बार संत ने अपने अनुयायियों के समक्ष उपदेश देते हुए कहा, ‘‘हर किसी को हमारी इस धरती मां की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए। लोग इसके साथ कुछ भी करें, किंतु यह बदले में उन्हें लाभ ही देती है। हमें हर हाल में क्रोध से बचना चाहिए। क्रोध एक ऐसी आग है, जो सामने वाले व्यक्ति से पहले खुद क्रोध करने वाले को जलाती है।’’

यह सुनते ही उपस्थित श्रोताओं में से एक व्यक्ति उठा और जोर-जोर से कहने लगा, ‘‘मैं इस बात को नहीं मानता। यह सब कहना आसान है, किंतु करना मुश्किल। लोग व्यर्थ ही आपकी पाखंडपूर्ण बातों को सुनकर आपको मान देते हैं। आपकी ये बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखतीं।’’

वह और भी कई तरह के कटुवचन बोलता रहा, किंतु संत चुपचाप बैठे रहे। आखिर में वह व्यक्ति भुनभुनाते हुए बाहर निकल गया। अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ और उसने संत की बातों पर मनन किया तो उसे लगा कि संत सौ फीसदी सही कह रहे थे। उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा और वह संत से क्षमायाचना करने के लिए उनके आश्रम में पहुंचा।

संत के समक्ष पहुंचते ही वह उनके चरणों में गिर पड़ा और बोला, ‘‘महात्मन, मुझसे बड़ी भूल हो गई। मेरा अपराध क्षमा करें।’’ संत ने उसे उठाया और पूछा, ‘‘तुम कौन हो भाई और मुझसे क्षमा क्यों मांग रहे हो?’’ व्यक्ति बोला, ‘‘मैं वही हूं, जिसने कल आपको अपमानित किया था। मैं अपने बर्ताव के लिए शर्मिंदा हूं, मुझे माफ कर दें।’’

संत ने प्रेमपूर्वक उससे कहा, ‘‘कल जो हुआ, उसे तो मैं कब का भूल चुका हूं और तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो। तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो गया और तुमने पश्चाताप कर लिया, यही बहुत है। अब आज में प्रवेश करो। बुरी बातें व घटनाएं याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते जाते हैं। बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो।’’

यह सुनकर वह व्यक्ति एक बार फिर संत के समक्ष नतमस्तक हो गया। कथा का सार यह है कि गलती समझ में आने के बाद उस पर बार-बार दुखी होने से बेहतर है कि हम उसे न दोहराने का प्रण लें और खुद में सुधार करते हुए अपने आज व आने वाले कल को सुखद बनाएं।

Lata

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