नहीं करना चाहिए इन चीज़ों का इस्तेमाल वरना...

Monday, Sep 02, 2019 - 04:48 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
इंजीनियरिंग पढ़ रहे घर आए भांजे से मैंने पूछा, ‘‘यह 400 ग्राम ब्रैड का पैकेट 20 रुपए का है, 1 किलोग्राम कितने का हुआ?’’ 

इससे पहले कि भांजा पॉकेट से कुछ निकालता मैंने टोक दिया, ‘‘नहीं, बगैर कैल्कुलेटर के बताना है।’’ 

लाडले को उलझन में देख मां ने मोर्चा संभाला, बचाव में तपाक से बोली, ‘‘इसे पढ़ाई में बार-बार कैल्कुलेटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। बेचारे को वैसी ही आदत पड़ गई है।’’

सरल गणना के लिए कैल्कुलेटर निकालने, सामान्य जानकारी के लिए गूगल खंगालने या तनिक दूर जाने के लिए दोपहिया उपयोग करने के अव्यस्त, इन साधनों के अभाव में अपने अनेक कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाएंगे। आज मोबाइल फोन से वंचित होना बहुतेरों को बीमार बना रहा है। इसके विपरीत जोडऩे-घटाने, दिमाग पर जोर लगाकर याद करने, यथासंभव पैदल चलने आदि गुणों का अभ्यास जारी रहेगा तो परिष्कृत होते-होते ये गुण हमारी जीवनचर्या को समृद्ध और खुशगवार बना देंगे, हम उपकरणों के गुलाम नहीं रहेंगे। एक औसत मस्तिष्क में ज्ञान और जानकारियों को संचित और संश्लेषित करने तथा नए कौशल सीखने की अपार क्षमता होती है।

मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क को दीर्घावधि तक निष्क्रिय छोड़ दें तो व्यक्ति स्थायी तौर पर आलस्य का आदी हो जाता है। हैलेन केलर की राय में एकल स्तर पर सीमित रूप में कुछ तो हासिल हो जाएगा किन्तु उत्कृष्ट परिणामों के लिए सामूहिक स्तर पर एकजुटता से कार्य करने होंगे। दूसरों के सहयोग के बिना उन्नति संभव नहीं। 

उपकरणों में कम्प्यूटर और टैलीफोन के बिना हमारे अधिकांश कार्य ठप्प हो जाएंगे परंतु विरोध उस मानसिकता से है जिसके चलते हम घर, समाज या कार्यस्थल के अनेक ऐसे कार्यों के लिए उपकरणों पर या दूसरों पर आश्रित हो जाते हैं जिन्हें हम स्वयं सहजता से पूरा कर सकते हैं। स्वयं को अंदरूनी तौर पर जितना पुख्ता बना लेंगे उसी स्तर पर बाहरी निर्भरता घट जाएगी। 

Lata

Advertising