जो आपका भला सोचे कभी उसके साथ न करें दुर्व्यवहार

Thursday, Jun 18, 2020 - 10:48 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दान में मिले बछड़े को एक ब्राह्मण ने बड़े ही ममत्व के साथ पाला-पोसा और उसका नाम नंदीविसाल रखा। नंदीविसाल बलिष्ठ ही नहीं, एक बुद्धिमान और स्वामीभक्त बैल था। उसने एक दिन ब्राह्मण से कहा, ‘‘हे ब्राह्मण! आपने वर्षों मेरा पालन-पोषण किया है। आपने तन-मन और धन से मेरा उपकार किया है। अत: आपके उपकार के बदले में आपके प्रचुर धन-लाभ के लिए सहायता करना चाहता हूं और एक युक्ति सुझाता हूं। चूंकि मेरे जैसे बलिष्ठ बैल इस संसार में अन्यत्र कहीं नहीं हैं। इसलिए हाट जाकर आप हजार स्वर्ण मुद्राओं का  सट्टा लगाएं। कि आपका बैल सौ बड़ी-बड़ी गाडिय़ों का बोझ इकट्ठा खींच सकता है।’’

ब्राह्मण को यह युक्ति पसंद आई और बड़े साहूकारों के साथ उसने बाजी लगा ली। पूरी तैयारी के साथ जैसे ही नंदीविसाल ने सौ भरी गाडिय़ों को खींचने की भंगिमा बनाई, ब्राह्मण ने तभी नंदीविसाल को गाली देते हुए कहा, ‘‘दुष्ट! खींच-खींच इन गाडिय़ों को फटाफट। नंदी को ब्राह्मण की भाषा पसंद नहीं आई। वह रुष्ट होकर वहीं जमीन पर बैठ गया, फिर ब्राह्मण ने हजारों युक्तियां उसे उठाने के लिए लगाईं मगर वह टस से मस न हुआ। साहूकारों ने ब्राह्मण का अच्छा मजाक बनाया और उससे उसकी हजार मुद्राएं भी ले गए।’’

तब नंदीविसाल को उस ब्राह्मण पर दया आ गई। वह उसके पास गया और पूछा, ‘‘हे ब्राह्मण क्या मैंने आपके घर पर कभी भी किसी चीज का कोई भी नुक्सान कराया है या कोई दुष्टता या धृष्टता की है?’’ 

ब्राह्मण ने जब ‘नहीं’ में सिर  हिलाया तो उसने पूछा, ‘‘क्यों आपने मुझे सभी के सामने भरे बाजार में ‘दुष्ट’ कह कर पुकारा था।’’  

ब्राह्मण को तब अपनी मूर्खता का ज्ञान हो गया। उसने बैल से क्षमा मांगी। तब नंदी ने ब्राह्मण को दो हजार स्वर्ण-मुद्राओं का सट्टा लगाने को कहा। दूसरे दिन ब्राह्मण ने एक बार फिर भीड़ जुटाई और दो हजार स्वर्ण मुद्राओ के दांव के साथ नंदीविसाल को बोझ से लदी सौ गाडियों को खींचने का आग्रह किया। बलिष्ठ नंदीविसाल तब पलक झपकते ही उन सारी गाडिय़ों को बड़ी आसानी से खींचकर दूर ले गया। ब्राह्मण ने तब दो हजार स्वर्ण मुद्राओं को सहज ही प्राप्त कर लिया।

शिक्षा : इस कहानी का सार यह है कि जो हमारा हितचिंतक हो उसके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।     

Jyoti

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