कभी भी न होने दें बुराई की जड़ को मजबूत

Sunday, Feb 23, 2020 - 11:35 AM (IST)

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एक धनी आदमी था, उसका एक ही बेटा था, जिसकी बहुत सारी आदतें बुरी थीं। जब भी उसका पिता अपने बेटे को बुरी आदत छोड़ने को बोलता तो वह एक ही जवाब देता-अभी तो मैं छोटा हूं, बड़ा होने पर छोड़ दूंगा। कुछ दिन बाद उनके नगर में एक महात्मा जी आए। बेटे की आदतों से परेशान पिता को पता चला तो वह महात्मा जी के पास गया और उनको अपने बेटे की बुरी आदतों के बारे में बताया। महात्मा जी ने बोला कि आप कल उसे मेरे पास लेकर आएं।
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अगले दिन सुबह पिता अपने बेटे को लेकर महात्मा जी के पास पहुंच गया। महात्मा जी उसको लेकर बगीचे में चले गए और रास्ते में चलते-चलते एक छोटा-सा पौधा दिखा। महात्मा जी ने उस लड़के से उसको उखाडऩे को कहा। लड़का तुरंत गया और पौधे को उखाड़ कर फैंक दिया। थोड़ी दूर और जाने पर एक छोटा पेड़ पड़ा मिला। महात्मा जी ने उसको भी उखाड़ कर फैंकने को कहा। उसने उसको भी उखाड़ दिया।
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लड़के के पिता जी यह सब कुछ ध्यान से देख रहे थे। कुछ दूर और चलने के बाद एक बड़ा और मजबूत-सा पेड़ दिखाई दिया। महात्मा जी ने लड़के से कहा कि इसको भी उखाड़ दो। वह तेजी से गया लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी उस पेड़ को उखाड़ नहीं पाया क्योंकि वह मजबूत हो गया था। फिर महात्मा जी ने उस लड़के को बुलाया और कहा कि जिस तरह तुम इस बड़े पेड़ को नहीं उखाड़ पा रहे हो उसी तरह तुम अपनी बुरी आदतों को बड़े होने पर नहीं बदल सकते क्योंकि तब तक उनकी जड़ें बहुत मजबूत हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि बुराइयों के पेड़ को बड़ा न होने दो। लड़का महात्मा की बात को समझ गया और उसने बुरी आदतें छोडऩे की ठान ली।

Lata

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