Navratri maa shailputri: आज बन रहा है शुभ योग, परेशानियों से मिलेगी मुक्ति

Thursday, Oct 07, 2021 - 08:35 AM (IST)

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Shardiya Navratri 2021: वर्ष में कुल 4 नवरात्रि आते हैं। हर 4 माह पर ऋतु परिवर्तन पर नवरात्रि का आगमन होता है। ब्रह्मांड में ऊर्जा व शक्ति का स्रोत नारी को ही माना गया है। नवरात्रि का पालन करने से तमस गुणों में कमी आती है व सात्विक गुणों का संचार जीवन में और भी अधिक बढ़ जाता है। इस बार 7 अक्टूबर को शरद ऋतु के नवरात्रों की शुरुआत हो रही है। 7 तारीख को प्रतिपदा के दिन बड़ा ही शुभ योग बन रहा है। जिसमें की चित्रा नक्षत्र से प्रतिप्रदा होगी एवं पांच रवियोग के साथ सौभाग्य योग और वैधृति योग बन रहा है। ऐसा योग बड़ा दुर्लभ होता है। नए कार्यों की शुरुआत वाहन, भूमि की खरीदारी के लिए भी अति शुभ समय है। अब के नवरात्रि की शुरुआत बृहस्पतिवार से हो रही है। जो कि अपने आप में भी एक शुभ दिन व योग बन जाता है। इस नवरात्रि का पालन करने पर व्यक्ति को अध्यात्मिक उन्नति, वंश वृद्धि, धन लाभ और अच्छी संतान का वर प्राप्त होगा। 

Who is the first goddess of Navratri: नवरात्रि के पहले दिन जिस देवी की पूजा की जाती है, वह देवी मां शैलपुत्री हैं। हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम शैलपुत्री पड़ा। प्रथम देवी शैलपुत्री की पूजा करने से अति शुभ परिणाम मिलते हैं। इस बार तो देवी शैलपुत्री की पूजा के लिए पहला नवरात्रि और  भी खास बन जाता है। जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है कि देवी शैलपुत्री की पूजा करने से सूर्य ग्रह अधिक बलवान होता है व सूर्य ग्रह से पीड़ित लोगों को शुभ परिणाम मिलते हैं। निम्नलिखित तरीकों से आप मां शैलपुत्री की आराधना करें। जिससे कि आपको भविष्य में होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। 

Shailputri mata colour:  नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद लाल रंग की चौकी पर मां शैलपुत्री का चित्र स्थापित करें। माता को पंच मेवे के साथ-साथ मीठे आंवले का भोग अवश्य लगाएं। ऐसा करने पर आपको निरोगी जीवन जीने का वरदान प्राप्त होता है। माता का श्रृंगार लाल रंग की वस्तुओं से करें। स्वयं भी लाल रंग के आसन पर बैठकर मां के मंत्रों का उच्चारण करें।

Maa Shailputri mantra: ॐ दुं दुर्गाय नमः मंत्र का जाप करें। माता को लाल रंग का फूल समर्पित करें। ऐसा करने पर व्यक्ति को यश व कीर्ति की प्राप्ति होती है।

Maa Shailputri puja: मां शैलपुत्री को सूर्य समान तेजस्वी देवी माना गया है। इनकी विधि से पूजन करने पर सूर्य के सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। जिन व्यक्तियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जिन व्यक्तियों को यश की प्राप्ति जल्दी नहीं होती, पिता और पुत्र के मध्य में विवाद रहता है, सरकार संबंधी परेशानी बनी रहती है। उन्हें देवी की तांबे की मूरत बनवा कर घर में स्थापित करनी चाहिए। ऐसा करने पर माता की कृपा आप पर होगी और सूर्य से संबंधित प्रत्येक परेशानी से मुक्ति मिलेगी।

देवी को तांबे के पात्रों में ही भोजन व जल का भोग लगाएं। इसके साथ-साथ सूरज पर भगवान सूर्य को जल देते समय लाल पुष्प का प्रयोग जरूर करें।

पूर्व दिशा की ओर बैठकर देवी के रूप का ध्यान करें माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प का वास होता है। इनकी छवि का ध्यान करते हुए सूर्य भगवान को भी प्रणाम करें।

नीलम
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Niyati Bhandari

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