बजरंगबली जी की ये नव निधि सिद्धियां करती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण

Thursday, May 14, 2020 - 08:28 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
यूं तो प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी की पूजा करने से इनकी कृपा पाई जा सकती है। परंतु इनके बारे में अधिक जानने की इच्छा रखने वालों लोगों को बता दें शास्त्रों में इनसे जुड़ी ऐसा नौ निधि सिद्धियां शामिल हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि इसका जाप करने से व्यक्ति की समस्त प्रकार की इच्छाएं एक ही बार में पूरी होती हैं। बता दें श्री राम के परम भक्त बजरंगबली को श्री राम की अर्धांगिनी देवी सीता ने अजय व अमरता का वरदान दिया था। यही कारण है कि कहा जाता है आज भी जहां श्री राम के गुणगान होता है वहां हनुमान जी साक्षात पहुंचते हैं और अपने व अपने प्रभु के भक्तों की समस्या का निधान करते हैं। तो आइए जानते हैं इनकी ऐसी कौन सी वो निधियां हैं, जो सैकड़ों मनोकामनाओं को पूरा करने की क्षमता रखती हैं। साथ ही जानेंगे इनके अर्थात भी।

कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर जब भी कोई समस्या आए तो उसे इससे मुक्ति की कामना से इन नौ निधियों की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।

1- पद्मनिधि- पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।

2- महापद्म निधि- महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।

3- नील निधि- निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेजसे संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।

4- मुकुंद निधि- मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है।

5- नन्द निधि- नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।

6- मकर निधि- मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है।

7. कच्छप निधि- कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।

8- शंख निधि- शंख निधि एक पीढी के लिए होती है।

9- खर्व निधि- खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत फल दिखाई देते हैं।

बता दें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उपरोक्त हनुमान जी की नौ निधियों के अलावा भागवत पुराण में भगवान कृष्ण ने दस गौण सिद्धियों का वर्णन और किया है जो इस प्रकार है-

1- अनूर्मिमत्वम्

2- दूरश्रवण

3- दूरदर्शनम्

4- मनोजवः

5- कामरूपम्

6- परकायाप्रवेशनम्

7- स्वछन्द मृत्युः

8- देवानां सह क्रीडा अनुदर्शनम्

9- यथासंकल्पसंसिद्धिः

10- आज्ञा अप्रतिहता गतिः
 

Jyoti

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