यात्रा: उन स्थानों की जहां 14 वर्ष के वनवास दौरान गए थे श्रीराम

Saturday, Jun 24, 2017 - 12:14 PM (IST)

पंचवटी में अरुणा नदी के किनारे इंद्रकुंड है। ऐसी मान्यता है कि महर्षि गौतम के शाप से इंद्र के शरीर में छिद्र हो गए थे। यहां स्नान करने से वे छिद्र दूर हो गए। इस कुंड के बाद मुक्तेश्वर का अंतिम कुंड है, जहां मेधातिथि तीर्थ तथा कोटितीर्थ हैं। नासिक और पंचवटी वस्तुत: एक ही नगर हैं। इस नगर के बीच से गोदावरी बहती है। गोदावरी के दक्षिणी तट पर स्थित नगर के मुख्य भाग को नासिक कहा जाता है और गोदावरी के उत्तरी तट पर जो भाग है वह पंचवटी कहलाता है। गोदावरी के दोनों तटों पर मंदिर हैं। तीर्थयात्री प्राय: पंचवटी में ठहरते हैं क्योंकि वहां से तपोवन तथा अन्य तीर्थों का दर्शन करने में सुविधा होती है।


गोदावरी का उद्गम तो त्रयम्बक के पास है, लेकिन तीर्थयात्री पंचवटी में गोदावरी में स्नान करते हैं। गोदावरी में कई कुंड बनाए गए हैं, जिन्हें पवित्र तीर्थ माना जाता है। गोदावरी में यहां रामकुंड, सीताकुंड, लक्ष्मणकुंड, धनुषकुंड आदि तीर्थ हैं जिनमें स्नान का मुख्य स्थान रामकुंड है। रामकुंड में शुक्लतीर्थ माना जाता है। रामकुंड के वायव्य कोण पर गोमुख से अरुणा की धारा गोदावरी में गिरती है। इसे अरुणा संगम कहा जाता है। इसके पास सूर्य, चंद्र तथा अश्विनी तीर्थ हैं। यहां यात्री मुंडन कराकर पितृ श्राद्ध करते हैं। रामकुंड के दक्षिण में अस्थिविलय तीर्थ है, जहां मृत लोगों की अस्थियां डाली जाती हैं। रामकुंड के उत्तर में ही ‘प्रयाग’ तीर्थ माना जाता है।


रामकुंड के पीछे सीताकुंड स्थित है जिसे अहल्या-कुंड और शारंगपाणि-कुंड भी कहा जाता है। उसके दक्षिण में दो मुख वाले हनुमान (अग्नि देव) की प्रतिमा है। उसके सामने हनुमान कुंड है। आगे दशाश्वमेध तीर्थ है। नारोशंकर मंदिर के सामने गोदावरी में रामगया-कुंड है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान श्री राम ने श्राद्ध किया था। उसके आगे पेशवाकुंड है। ऐसी मान्यता है कि यहां गोदावरी में वरुणा, सरस्वती,गायत्री, सावित्री और श्रद्धा नदियां मिलती हैं। 


पंचवटी में अरुणा नदी के किनारे इंद्रकुंड है। ऐसी मान्यता है कि महर्षि गौतम के शाप से इंद्र के शरीर में छिद्र हो गए थे। यहां स्नान करने से वे छिद्र दूर हो गए। इस कुंड के बाद मुक्तेश्वर का अंतिम कुंड है, जहां मेधातिथि तीर्थ तथा कोटितीर्थ हैं। ये सभी कुंड गोदावरी में ही हैं। गोदावरी में ही आगे अहल्या संगम तीर्थ है और उससे आगे तपोवन है। 


नासिक-पंचवटी के अधिकांश मंदिर गोदावरी के दोनों तटों पर ही हैं। रामकुंड के ऊपर ही गंगाजी का मंदिर है। वहीं पास में गोदावरी मंदिर है। गोदावरी मंदिर के सामने बाणेश्वर शिवलिंग है। गंगा मंदिर के बगल में एक मंदिर में गणेश, शिव, देवी, सूर्य और विष्णु भगवान की मूर्तियां हैं। गोदावरी मंदिर के पीछे विट्ठल भगवान का मंदिर है।
रामकुंड के पास ही राम मंदिर है और उसके पास ही एक शिवालय है। उसे अहल्याबाई का राम मंदिर कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसमें जो श्रीराम, लक्ष्मण, जानकी की मूर्तियां हैं, वे रामकुंड से मिली हैं।


नासिक-पंचवटी के कुछ प्रमुख पावन स्थल इस प्रकार हैं :
कपालेश्वर 
रामकुंड से थोड़ी दूरी पर पचास सीढिय़ां ऊपर कपालेश्वर शिव मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां शंकर जी के हाथ में चिपका कपाल (ब्रह्मा का सिर) गोदावरी स्नान से दूर हुआ था।


काला राम मंदिर 
गोदावरी से लगभग दो फर्लांग पर पंचवटी बस्ती में यह विशाल मुख्य राम मंदिर है। इसमें श्रीराम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं।


पंचवटी 
काला राम मंदिर से आगे गोदावरी तट से लगभग आधा मील पर एक वट वृक्ष है। इसी स्थान को पंचवटी कहा जाता है। अब यहां वट के 5 वृक्ष हैं। वट वृक्षों के पास ही एक मकान है जिसमें सीता गुफा है। भूगर्भ के कमरे में सीढिय़ों से जाने पर राम, लक्ष्मण, सीता की छोटी मूर्तियां मिलती हैं।


शारदा चंद्रमौलीश्वर 
यह मंदिर सीता गुफा के पास ही है। इसमें भगवान शंकर की नटराज मूर्ति है।


रामेश्वर 
यह मंदिर गोदावरी तट पर ही रामकुंड से आगे रामगया तीर्थ के पास है। इसे नारोशंकर मंदिर भी कहा जाता है। यह विशाल मंदिर अति भव्य दिखाई पड़ता है।


सुंदर-नारायण मंदिर 
यह मंदिर नासिक से पंचवटी जाने वाले पुल के पास नासिक में है। इसमें भगवान नारायण की सुंदर मूर्ति है। सुंदर नारायण के सामने गोदावरी में ब्रह्मतीर्थ है और नैर्ऋत्य कोण में बद्रिका संगम तीर्थ है। ऐसी मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी ने स्नान किया था।


उमा-महेश्वर 
सुंदर-नारायण से आगे यह मंदिर है। इसमें भगवान शंकर की मूर्ति है, जिसके दोनों ओर गंगा तथा पार्वती की मूर्तियां हैं। 


नीलकंठेश्वर 
रामकुंड के सामने नासिक में यह शिव मंदिर है। इसके सामने ही दशाश्वमेध तीर्थ है। ऐसी मान्यता है कि महाराज जनक ने यहां यज्ञ करके इस मूर्ति की स्थापना की थी।


पंचरत्नेश्वर 
नीलकंठेश्वर के पीछे 48 सीढ़ी ऊपर यह मंदिर है। यहां शिवलिंग के ऊपर पांच चांदी के मुख लगाए रहते हैं।


गोराराम मंदिर 
पंचरत्नेश्वर मंदिर के पास ही यह मंदिर है। इसमें श्रीराम, लक्ष्मण, और जानकी जी की संगमरमर की मूर्तियां हैं।


मुरलीधर 
गोराराम मंदिर के दक्षिण में यह श्रीकृष्ण मंदिर है। इसके निकट ही लक्ष्मीनारायण तथा तारकेश्वर मंदिर हैं।


तपोवन 
पंचवटी से लगभग डेढ़ मील की दूरी पर गोदावरी में कपिला नाम की नदी बहती है। इस कपिला संगम तीर्थ पर ही तपोवन है। ऐसी मान्यता है कि महर्षि गौतम की यही तपस्थली है। यहीं लक्ष्मणजी ने शूर्पनखा की नाक काटी थी।


कपिला संगम के पास महर्षि कपिल का आश्रम माना जाता है। यहां आठ तीर्थ हैं- ब्रह्म तीर्थ, शिव तीर्थ, विष्णु तीर्थ, अग्नि तीर्थ, सीता तीर्थ, मुक्ति तीर्थ, कपिला तीर्थ और संगम तीर्थ।


ब्रह्म तीर्थ, शिव तीर्थ, विष्णु  तीर्थ को ब्रह्मयोनि, रुद्रयोनि और विष्णुयोनि भी कहा जाता है। ये सटे हुए तीन कुंड हैं जिनमें जल नहीं है और इनकी भित्तियों में एक से दूसरे में जाने का संकीर्ण मार्ग है। इनके पास ही अग्नि तीर्थ है, जिसमें जल भरा रहता है। यह गहरा कुंड है।  पास में कपिला नदी है, जिसे कपिला तीर्थ कहा जाता है। वही कपिल मुनि का आश्रम कहा जाता है। यहां आसपास तथा पंचवटी के मार्ग में लक्ष्मण जी का मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, गोपाल मंदिर, विष्णु मंदिर, राम मंदिर आदि कई मंदिर हैं।


कैसे पहुंचें नासिक-पंचवटी 
मध्य रेलवे की मुम्बई से दिल्ली जाने वाली दिल्ली मुख्य लाइन पर नासिक रोड प्रसिद्ध स्टेशन है। स्टेशन से नासिक चार मील और पंचवटी पांच मील दूर है। स्टेशन से नासिक तक मोटर बस चलती है तथा यहां पहुंचने के लिए टैक्सी भी मिलती है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी यह पावन स्थान विभिन्न प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

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