Narmada Jayanti- देवताओं के पाप धोने के लिए हुआ था मां नर्मदा का प्राकट्य

Saturday, Jan 28, 2023 - 08:15 AM (IST)

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Narmada Jayanti 2023- हिंदू पंचांग के अनुसार आज माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर मां नर्मदा का जन्म हुआ था। ये दिन प्रत्येक वर्ष नर्मदा जयंती के रुप में मनाया जाता है। वैसे तो ये पर्व पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन  मां नर्मदा का जन्म स्थान मध्य प्रदेश के अमरकंटक में है। वहां इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है। देश-विदेश से श्रद्धालु मां नर्मदा के दर्शन करते आते हैं और उनके पवित्र जल में डूबकी लगाकर हमेशा के लिए पाप मुक्त होते हैं।

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Narmada Jayanti Vrat Katha- भारत में सात धार्मिक नदियां हैं, उन्हीं में से एक हैं मां नर्मदा। लोक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने देवताओं के पाप धोने के लिए मां नर्मदा को उत्पन्न किया था। एक कथा के अनुसार भगवान शिव अंधकासुर राक्षस का वध करने के बाद (अमरकंटक) मेकल पर्वत पर समाधिस्थ हो गए। जगत पिता ब्रह्मा, श्री हरि विष्णु और सभी देवता उनके पास गए। अनेकों प्रकार से उनकी स्तुति और प्रार्थना करने के बाद उन्होंने आंखें खोलीं।


देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा, ‘ हमने जाने-अनजाने बहुत सारे पाप किए हैं, उनका निवारण करने का मार्ग बताएं।’

भगवान शिव की भृकुटि से एक तेजोमय बिंदु धरती पर गिरा, जो एक कन्या के रूप में परिवर्तित हो गया। वे कन्या मां नर्मदा थी। उन्हें त्रिदेव के साथ-साथ सभी देवताओं से वरदान प्राप्त हुए।

भगवान शिव ने माघ शुक्ल सप्तमी को मकर राशि सूर्य मध्याह्न काल के वक्त मां नर्मदा को नदी रूप में बहने के लिए कहा।

मां नर्मदा निवेदन करते हुए बोली, ‘धरतीवासियों के पापों को मैं कैसे दूर करुंगी।’


भगवान विष्णु ने कहा, आप में सभी पापों को हरण करने की शक्ति होगी। जिन पत्थरों को आपके जल में आने का सौभाग्य मिलेगा, वे शिव तुल्य पूजे जाएंगे।

भगवान शिव ने कहा, जैसे उत्तर में स्वर्ग से आकर गंगा प्रसिद्ध हुई, वैसे ही आप दक्षिण गंगा के नाम से विख्यात हो ।

मां नर्मदा के पवित्र जल में स्नान करने से न केवल मनुष्य बल्कि देवता भी पाप मुक्त होते हैं। ऐसा माना जाता है की एक समय भगवान शिव तपस्या में लीन थे। उनके शरीर से पसीना निकलने लगा। देखते ही देखते पसीने ने नदी का रूप ले लिया और वह नर्मदा नदी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

Niyati Bhandari

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