Narasimha Jayanti 2019: भगवान नृसिंह के मंदिरों की रोचक जानकारी

Friday, May 17, 2019 - 01:31 PM (IST)

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सिंहाचलम मंदिर- कहते हैं ये मंदिर भगवान नृसिंह का घर है। वे यहां मां लक्ष्‍मी के साथ विराजते हैं। किवदंती के अनुसार इस मंदिर को स्वयं भक्‍त प्रह्लाद ने बनवाया था। प्रतिमा पर पूरे साल चंदन का लेप लगा रहता है। केवल अक्षय तृतीया के दिन भगवान के असली रूप का दर्शन होता है। एक समय सिंहाचलम मंदिर धरती में समा गया था, राजा पुरुरवा ने इसे पुन: स्‍थापित करवाया।


जोशीमठ में नृसिंह मंदिर- देवों की धरती उत्‍तराखंड के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ में भगवान नृसिंह का सुंदर मंदिर स्थित है। ये लगभग 1200 वर्ष से भी अधिक पुराना है। नृसिंह भगवान की प्रतिमा शालिग्राम पत्‍थर से बनी है। भगवान के स्वरुप को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ का कहना है की प्रतिमा स्‍वयं प्रकट हुई है और अन्य मानते हैं की आदिगुरु शंकराचार्य ने यहां शालिग्राम की स्थापना की थी। भगवान नृसिंह कमल पर विराजित हैं। इस मंदिर में संत बदरीनाथ ने भी काफी समय तक वास किया।


गुफा में बना नृसिंह भगवान का मंदिर- भगवान नृसिंह का ये मंदिर एक गुफा में स्थित है। कहते हैं संत सूरदास ने कठोर तप के लिए इस गुफा को खोदा था। लंबे अर्से तक उन्होंने इस गुफा में तपस्‍या की थी। फिर कुछ समय के बाद उन्‍होंने संत रामदास जी और अपने बहुत सारे साथियों को इस गुफा में बुला लिया। संत रामदास जी ने गुफा में नृसिंह भगवान की प्रतिमा को विराजित किया। इस मंदिर में भगवान को परंपरागत व्‍यंजनों के साथ मोहन भोग अर्पित करने की परंपरा है। 


मौसम के अनुसार मिजाज बदलते हैं भगवान नृसिंह- आपको जानकर हैरानी होगी की छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र में स्थित भगवान नृसिंह का प्राचीन मंदिर है। जो लगभग 1148 साल पुराना है। भोसले राजा हरहरवंशी ने इस मंदिर को बनवाया था। भगवान की प्रतिमा काले पत्‍थर से निर्मित है। अजब-गजब बात तो ये है की प्रतिमा मौसम के अनुसार मिजाज बदलती है। गर्मी के मौसम में भगवान की प्रतिमा ठंडी रहती है और ठंड के मौसम में गर्म। वर्ष में एक दफा यहां हिरण्यकश्यप संहार का विशाल आयोजन होता है। जिसे देखने बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ता है। 

Niyati Bhandari

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