Naraka Chaturdashi 2020: यम देव के अलावा इन देवी-देवताओं की पूजा करनी होती लाभदायक

Friday, Nov 06, 2020 - 05:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
लगातार हम आपको दिवाली से जुड़ी लगभग जानकारी दे रहे है। इसी कड़ी इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं नरक चतुर्दशी पर कौन-कौन से देवता की पूजा करते हैं। जैसे कि हमने आपको अपने पिछले आर्टिकल में भी बता चुके हैं कि नरक चतुर्दशी को काली चौदस, रूप चौदस व छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताएं हैं इस दौरान सनातन धर्म के किन्हीं ऐसे देव-देवताओं की पूजा की जाती है, जिनकी पूजा से कई लाभ प्राप्च होते हैं। चलिए जानते हैं कौन से वो देव-

देवी काली
धार्मिक मान्यताएं हैं कि प्राचीन समय में जब काली माता ने राक्ष्सों का वध किया तो उनका क्रोध चरम सीमा पर पहुंच गया था, उनके क्रोध से सृष्टि के विनाश होने तक का डर था। ऐसे में भगवान शंकर उनके क्रोध को कम करने के लिए उनके चरणों के नीचे लेट गए थे, शिव जी के शरीर स्पर्श मात्र से देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया था। माना जाता है इसी कारण आज भी कालो चौदस के दिन काली माता की विधि-विधान पूजा करने की पंरपरा प्रचलित है। बता दें इनकी पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है।

इस दिन जातक को प्रातः तेल से स्नान के बाद देवी काली की पूजा कर उन्बें कुमकुम लगाना चाहिए। बताया जाता है पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में विशेष रूप से इनकी पूजा की जाती है, जो अर्धरात्रि में होती है। पश्‍चिम बंगाल में देवी लक्ष्मी की पूजा दशहरे के ठीक 6 दिन बाद की जाती है और दिवाली के दिन काली पूजा की जाती है।

श्री कृष्ण
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर राक्षस का वध करके उसके कारागर से 16,000 महिलाओं को मुक्ति दिलाई थी। जिस कारण इस दिन इनका विशेष रूप से पूजन किया जाता है। जो जातक इनकी आज के दिन पूजा करता है वे सभी तरह के बंधनों से मुक्ति मिलती है।


भगवान शंकर
चूंकि इस दिन शिव चतुर्दशी होती है इसलिए इस दिन देवों के देव महादेव, भगवान शंकर की पूजा के साथ-साथ इन्हें पंचामृत अर्पित किया जाता है।

हनुमान जी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए इनकी पूजा करनी भी अत्यंकत लाभाकरी होती है, इससे सभी तरह के संकट दूर होते हैं।  
 

भगवान वामन
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार दक्षिण भारत में इस दिन वामन पूजा की पंरपरा है। तो धार्मिक कथाएं इस प्रकार हैं, कि इस दिन ही राजा बलि (महाबली) को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में प्रत्येक साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था। जिस कारण यहां इनके वामन पूजन की पंरपरा शुरू हुई।

Jyoti

Advertising