Narad Jayanti: भक्त की पुकार को भगवान तक पहुंचाते हैं देवर्षि नारद

Saturday, May 06, 2023 - 07:32 AM (IST)

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Narada Jayanti 2023: पुराणों और पौराणिक कथाओं में देवर्षि नारद को सार्वभौमिक ईश्वरीय दूत के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनका मुख्य कार्य देवताओं के बीच सूचना पहुंचाना ही रहा है। हाथ में वीणा लेकर पृथ्वी से लेकर आकाश लोक, स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक से लेकर पाताल लोक तक हर प्रकार की सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के कारण देवर्षि नारद मुनि को ब्रह्मांड के पहले पत्रकार के रूप में जाना जाता है, जब भी वह किसी लोक में पहुंचते हैं तो सभी को इस बात का इंतजार रहता है कि वह जिस लोक से आए हैं वहां की कोई न कोई सूचना अवश्य लाए होंगे। ब्रह्मांड की बेहतरी के लिए वह विश्वभर में भ्रमण करते रहे हैं।

शास्त्रों के अनुसार, देवर्षि नारद ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं, जिन्होंने कठोर तपस्या करके ‘ब्रह्म-ऋषि’ का पद प्राप्त किया और वह भगवान नारायण के ही भक्त कहलाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भक्त की पुकार को भगवान तक पहुंचाना है। 

भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। वह तीनों लोकों में कहीं भी कभी भी किसी भी समय प्रकट हो सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि के नाम का शाब्दिक अर्थ जाना जाए तो ‘नार’ शब्द का अर्थ है जल। वह सबको जलदान, ज्ञानदान एंव तर्पण करने में निपुण होने के कारण ही नारद कहलाए। शास्त्रों में अथर्ववेद में भी नारद नाम के ऋषि का उल्लेख मिलता है। प्रसिद्ध मैत्रायणई संहिता में भी नारद को आचार्य के रूप में सम्मानित किया गया है। अनेक पुराणों में नारद जी का वर्णन बृहस्पति जी के शिष्य के रूप में भी मिलता है। 

महाभारत के सभापर्व के पांचवें अध्याय में श्री नारद जी के व्यक्तित्व का परिचय देते हुए उन्हें वेद, उपनिषदों के मर्मज्ञ, देवताओं के पूज्य, पुराणों के ज्ञाता, आयुर्वेद व ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, संगीत-विशारद, प्रभावशाली वक्ता, नीतिज्ञ, कवि, महापंडित, योगबल से समस्त लोकों के समाचार जानने की क्षमता रखने वाले, सदगुणों के भंडार, आनंद के सागर, समस्त शास्त्रों में निपुण, सबके लिए हितकारी और सर्वत्र गति वाले देवता कहा गया है।  

नारद जी एक हाथ से ‘वीणा’ वादन करते हुए मुख से ‘नारायण-नारायण’ का उच्चारण करते हुए जब भी किसी सभा में पहुंचते तो एक ही बात सुनाई देती कि ‘नारद जी कोई संदेश लेकर ही आए हैं’। 

Narada Jayanti daan- शास्त्रों के अनुसार ‘वीणा’ का बजना शुभता का प्रतीक है इसलिए नारद जयंती पर ‘वीणा’ का दान विभिन्न प्रकार के दान से श्रेष्ठ माना गया है। किसी भी कामना से इस दिन ‘वीणा’ का दान करना चाहिए। 

Niyati Bhandari

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