Narad Jayanti 2021: हर युग में रहे देवों-दानवों के प्यारे

Thursday, May 27, 2021 - 06:20 AM (IST)

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2021 Narada Jayanti: ‘नार’ शब्द का अर्थ जल है। यह सबको जलदान, ज्ञानदान करने एवं तर्पण करने में निपुण होने की वजह से नारद कहलाए। सनकादिक ऋषियों के साथ भी नारद जी का उल्लेख आता है। भगवान सत्यनारायण की कथा में भी उनका उल्लेख है। नारद अनेक कलाओं में निपुण माने जाते हैं। यह वेदांतप्रिय, योगनिष्ठ, संगीत शास्त्री, औषधि ज्ञाता, शास्त्रों के आचार्य और भक्ति रस के प्रमुख माने जाते हैं। 25 हजार श्लोकों वाला प्रसिद्ध नारद पुराण भी इन्हीं के द्वारा रचा गया है।


पुराणों में देवर्षि नारद को भगवान के गुण गाने में सर्वोत्तम और अत्याचारी दानवों द्वारा जनता के उत्पीडऩ का वृत्तांत भगवान तक पहुंचाने वाला त्रैलोक्य पर्यटक माना गया है। कई शास्त्र इन्हें विष्णु का अवतार भी मानते हैं और इस नाते नारद जी त्रिकालदर्शी हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार यह ब्रह्मा जी के कंठ से उत्पन्न हुए और ऐसा विश्वास किया जाता है कि ब्रह्मा जी से ही इन्होंने संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी।


ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से नारद एक माने गए हैं और वैष्णवों के परमाचार्य तथा मार्गदर्शक हैं। भागवत के अनुसार नारद अगाध बोध, सकल रहस्यों के वेत्ता, वायुवत् सबके अंदर विचरण करने वाले और आत्मसाक्षी हैं। नारदपुराण में उन्होंने विष्णु भक्ति की महिमा के साथ-साथ मोक्ष, धर्म, संगीत, ब्रह्मज्ञान, प्रायश्चित आदि अनेक विषयों की मीमांसा प्रस्तुत की है। ‘नारद संहिता’ संगीत का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है।


ये प्रत्येक युग में भगवान की भक्ति और उनकी महिमा का विस्तार करते हुए लोक-कल्याण के लिए सर्वदा सर्वत्र विचरण किया करते हैं। इनकी वीणा भगवन जप महती के नाम से विख्यात है। उससे नारायण-नारायण की ध्वनि निकलती रहती है। इनकी गति अव्याहत है। ये ब्रह्म-मुहूर्त में सभी जीवों की गति देखते हैं और अजर-अमर हैं। भगवद्-भक्ति की स्थापना तथा प्रचार के लिए ही इनका आविर्भाव हुआ है। उन्होंने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया है। देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों में सब लोकों में, समस्त विद्याओं में समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदा से प्रवेश रहा है। मात्र देवताओं ने ही नहीं, वरन् दानवों ने भी उन्हें सदैव आदर दिया है। समय-समय पर सभी ने उनसे परामर्श लिया है। देवर्षि नारद द्वारा रचित नारद भक्ति सूत्र के 84 सूत्रों में भक्ति विषयक विचार दिए गए हैं।

Niyati Bhandari

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