नारद मुनि कहलाते हैं धरती के पहले पत्रकार, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प बातें

punjabkesari.in Friday, May 08, 2020 - 08:58 PM (IST)

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प्रत्येक वर्ष पूर्णिमान्त ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ये ब्रह्मा जी के मानस  पुत्र हैं। तमाम देवी-देवता की तरह इनकी प्रति भी हिंदू धर्म के लोग काफी श्रद्धा विश्वास रखते हैं। यूं तो हर साल देश के विभिन्न हिस्सों मेें नारद जयंती का पर्व काफी धूम धाम से मनाया जाता है। परंतु लॉकडाउन के चलते इस बार ऐसा हो पाना संभव नहीं हो सका। इसलिए पंजाब केसरी अपनी वेबसाइट के माध्यम से आपको हिंदू धर्म के तमाम पर्व त्यौहार आदि से जुड़ी हर तरह की जानकारी दे रहा है ताकि घर बैठे आप विधिवत पूजा पाठ कर सके। साथ ही साथ देवी-देवताओं से संबंधित रहस्य भी जान सकें। तो चलिए जानते हैं नारज जी से जुड़ी खास जानकारी- 

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नारद मुनि को इस धरती का पहला पत्रकार कहा जाता है। इसका कारण है कि प्राचीन काल में नारद मुनि जी एक लोक से दूसरे लोक में जाकर संवाद का आदान-प्रदान करते थे। ये सदैव तीनों लोकों में भ्रमणकर सूचनाएं देते थे। न केवल देवी-देवता बल्कि असुरलोक के राजा समेत सारे राक्षसगण भी नारद मुनि का आदर सत्कार व सम्मान करते थे। 

इनसे जुड़ी एक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्रााजी ने नारद जी से सृष्टि के कामों में हिस्सा लेने और विवाह करने के लिए कहा, परंतु नारद जी ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया। जिसके बाद क्रोध में आकर ब्रह्रााजी ने देवर्षि नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे डाला। 
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ऐसी मान्याताओं हैं कि देवर्षि नारद सृष्टि के पहले ऐसे संदेश वाहक यानि पत्रकार थे जो एक लोक से दूसरे लोक की परिक्रमा करते हुए सूचनाओं का आदान-प्रदान किया करते थे। परंतु क्या ये इनके स्वभाव में था? दरअसल इनकी इस आदत के बारे में एक कथा है।  

कहा जाता है कि राजा दक्ष की पत्नी आसक्ति से 10 हज़ार पुत्रों का जन्म हुआ था मगर नारद जी ने सभी 10 हज़ार पुत्रों को मोक्ष की शिक्षा देकर राजपाठ से वंचित कर दिया था। जिस बात से क्रोधित होकर राजा दक्ष ने नारद जी को श्राप दे दिया कि वह हमेशा इधर-उधर भटकते रहेंगे तथा कभी ज्यादा समय तक एक स्थान पर नहीं टिक पाएंगे।
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Jyoti

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