नंदी की तपस्या के बाद यहां खुद प्रकट हुए थे महादेव, ऊंची पहाड़ियों पर है नंदिकेश्वर मंदिर
punjabkesari.in Wednesday, Aug 17, 2022 - 02:50 PM (IST)
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आज संक्रांति के साथ ही इस वर्ष के श्रावण मास का समापन हो गया है। हर साल पूरे श्रावण मास में लोग शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवालयों आदि में जाते हैं। कहने का भाव है पूरे मास शिव शिवालयों आदि में शिव भक्तों का मेला लगा हुआ दिखाई देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में भगवान शिव अपने भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आज श्रावण मास के आखिरी दिन के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं शिव जी के बेहद प्राचीन मंदिर के बारे में। दरअसल हम बात कर रहे हैं संस्कारधानी जबलपुर के एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर के बारे में जो नर्मदा नदी पर बने बरगी बांध के सामने एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। बताया जाता है यहां पर विराजित भोलेनाथ नन्द केश्वर महादेव के नाम से जाने जाते हैं।
बताया जाता है जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी पर बने बरगी बांध का निर्माण कार्य साल 1974 में शुरू किया गया था परंतु उस वक्त जो डूब के क्षेत्र में एक प्राचीन नन्दकेश्वर महादेव का शिव मंदिर भी आ रहा था। तब वहां पर विराजित महादेव को शासन के द्वारा डूब क्षेत्र से हटा कर बरगी बांध के सामने ही स्थित एक ऊंची पहाड़ी पर पूरे विधि विधान से पूजा कर स्थापित कर दिया गया। इसके अलावा एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है नर्मदा नदी में नंदी की तपस्या के बाद महादेव खुद ही यहां प्रकट हुए थे और यहां विराजमान हो गए थे। तो वही लोक मत ये भी है कि जब मां गंगा और मां नर्मदा ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि आप नर्मदा तट पर स्थापित हो जाएं।
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तब भगवान शिव गंगा और नर्मदा की प्रार्थना स्वीकार कर नर्मदा तट के ग्राम भिड़की में स्थित नंदिकेश्वर घाट पर ही स्थापित हो गए थे। उसके बाद जब बरगी बांध में पानी भरना शुरू हुआ तब नंदिकेश्वर घाट से भगवान शिव की पिंडी लाकर बरगी बांध के सामने वाली पहाड़ी पर संगमरमर से बने भव्य मंदिर में स्थापित कर दिया गया जो आज संस्कारधानी जबलपुर के साथ देश विदेश में शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
यहां आने वाले भक्तों की नन्द केश्वर महादेव से गहरी आस्था जुड़ी हुई है क्योंकि इस शिव मंदिर में आने वाले भक्तों की हर मनोकामना नन्दकेश्वर पूरी करते हैं। इतना ही नहीं नन्द केश्वर महादेव की महिमा के कारण कभी भी बरगी बांध में कोई भी बड़ा हादसा नहीं हुआ है। नर्मदा नदी के हर कंकर में शंकर का वास है। लिहाजा भगवान भोलेनाथ की महिमा नर्मदा तट पर और भी बढ़ जाती है। साधक इस सावन के महीने में नर्मदा तट पर कठिन तपस्या भी करते हैं।
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