Nag Panchami 2020: पूजा में हो गई देरी या कोई भूल तो इन मंत्रों के जाप नाग दवता को करें प्रसन्न

Saturday, Jul 25, 2020 - 01:19 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाय जाता है। हिंदू धर्म में जिस तरह श्रावण माह को अधिक माहत्व प्रदान है। ठीक उसी तरह इस महीने में आने वाली नाग पंचमी को भी विशेष माना जाता है। कहा जाता है इस दिन नागों के देवता की पूजा की जाती है। जिससे नाग देवत के साथ-साथ भगवान शंकर की अर्चना का भी अधिक महत्व है। इसके अलावा ज्योतिषी मान्यताएं ये भी हैं कि इस दिन नाग देवता की विधिवत पूजा से तथा इन्हें दूध अर्पित करने से कुंडली में पैदा कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। परंतु बहुत से ऐसे भी लोग होते हैं जो किसी न किसी कारण वश इस दिन उस प्रकार कसे पूजा पाठ नहीं कर पाते, जिस विधि से उन्हें पूजा करनी चाहिए। ऐसे में कई दफ़ा ये माना जाता है कि ऐसे लोग नाग पंचमी के इस खास दिन प्राप्त होने वाली पूजा से वंचित रह जाते हैं। परंतु बता दें ऐसा बिल्कुल नहीं होता। इस दिन वो व्यक्ति भी नाग देवता को प्रसन्न करके उनकी कृपा हासिल कर सकता है जिसे इनकी पूजन नहीं हो पाती। इससे पहले आप सोचने लगे कि कैसे तो बता दें ऐसे में आपको केवल कुछ मंत्रों का जाप करना होगा। जिससे यकीनन आप भी इनकी कृपा प्राप्त कर सकेंगे। तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये खास मंत्र- 

मगर इससे पहले बता दें कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में गैस या चूल्हे की आंच पर तवा रखना और साग-भाजी काटना वर्जित होता है तो जो लोग इस दिन व्रत व पूजन आदि करते हैं उन्हें इस बारे में खास ध्यान रखना चाहिए।  

पहला मंत्र-
ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

दूसरा मंत्र :-
'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।'

तीसरा मंत्र-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात: काले विशेषत:।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपरोक्त मंत्रों का सुबह-शाम जप करने से व्यक्ति को विष का भय नहीं रहता तथा सर्वत्र विजय का आशीर्वाद प्राप्र होता है।
 

Jyoti

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