Raksha Bandhan: मुंहबोली बहनों के प्रेम से हुआ रक्षा बंधन का आरंभ, पढ़ें कथाएं

Saturday, Aug 21, 2021 - 08:47 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Raksha Bandhan 2021: कहते हैं कि एक बार देवताओं और दानवों में बारह वर्ष तक भयानक युद्ध हुआ जिसमें देवता पराजित हुए। इंद्रदेव पराजित होकर अन्य देवताओं के साथ अमरावती चले गए। दैत्यराज ने जब तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया तो उसने यज्ञों, वेदों, आहुतियों व मंत्रों पर सख्ती से पाबंदी लगा दी जिससे देवताओं की शक्ति क्षीण होने लगी। ऐसे में इंद्र ने गुरु बृहस्पति को, जो देवताओं के गुरु थे, बुलाया और उनसे दानवों पर विजय पाने का उपाय पूछा। तब देवगुरु बृहस्पति जी ने उन्हें रक्षा विधान करने को कहा। ब्राह्मण शुक्ल पूर्णिमा के दिन इंद्राणी ने पूरे विधि-विधानपूर्वक मंत्रोच्चारण के साथ रक्षासूत्र तैयार किया। अगले दिन इंद्रदेव ने गुरुदेव से रक्षा विधान बंधवाया व इस मंत्र के उच्चारण के साथ रक्षाविधान सम्पन्न हुआ।


येनवध्दो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामभि विघ्नामि रक्षे माचल माचल॥
इस प्रकार फिर से हुए युद्ध में देवता विजयी हुए।


एक अन्य कथा के अनुसार राजा बलि को दिए वचन के अनुसार भगवान विष्णु को विष्णुलोक छोड़ कर राजा बलि की रक्षा के लिए उनके राज्य में जाना पड़ा। ऐसे में देवी लक्ष्मी एक दिन एक ब्राह्मणी का रूप धारण कर राजा के पास गईं और उसकी कलाई पर पवित्र रक्षासूत्र बांधकर भाई मानते हुए रक्षा का वचन ले लिया। तब देवी लक्ष्मी अपने असली रूप में प्रकट हुईं और अपने पति विष्णु जी की बैकुण्ठ वापसी का वचन लेकर उन्हें वापस विष्णुलोक ले आईं।


चितौड़ की रानी कर्णावती और दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूं की कहानी से हर कोई परिचित है। ग्रीक नरेश सिकंदर की पत्नी ने भी उनके शत्रु पुरुराज को भाई बनाकर अपने पति की रक्षा का वचन लिया था। युद्ध के समय जैसे ही पुरुराज ने सिकंदर को मारने के लिए तलवार उठाई तो उसे अपनी कलाई पर राखी देखकर दिया वचन याद आ गया और उसने सिकंदर के प्राण बख्श दिए।

  

Niyati Bhandari

Advertising