मंत्र: मंद बुद्धि और कोमा में गए रोगी भी हो जाएंगे Fit

Thursday, Nov 21, 2019 - 07:51 AM (IST)

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मंत्रों के उच्चारण से जो कम्पन प्रकट होती है वह मानव मस्तिष्क की क्रियाओं को स्लोडाऊन करने की शक्ति रखती है, वैदिक/पौराणिक मंत्र ब्रेन वेव्स और पल्स रेट को कम कर सकते हैं। जब सभी औषधियां विफल हो जाती हैं सारे लौकिक उपाय हाथ खड़ा कर लेते हैं तब यह मंत्र ही है जो मरणासन्न को प्राणशक्ति प्रदान करता है। मंत्र की चिकित्सा असफल नहीं होती। यह तपस्या भक्ति साधना का प्रयोग होता है जो साधक देता है। मंत्र की ध्वनि स्थूल शरीर को प्रभावित करती है। तंत्र में एकाक्षर मंत्रों का निर्धारण किया गया है। देवनागरी लिपि के अनेक प्रभावी अक्षरों के ऊपर अनुस्वार (द) लगाकर एकाक्षरी बनाया है। हमारे ऋषियों ने जैसे ‘ऐ’ यह महासरस्वती का बीज मंत्र है यह मस्तिष्क को शक्ति देता है मंद बुद्धि और कोमा में गए रोगी भी इससे निरोग होते हैं। ‘खं’ बीज से लिवर के रोगी हैपेटाइटिस (बी) और ब्रोन्काइटिस के रोगी ठीक होते हैं।

श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हुं, फट् प्रत्येक को एकाक्षरी मंत्र कहा जाता है।

एकाक्षरी मंत्र बहुत ही शक्तिशाली होते हैं इनका प्रयोग कैसे किया जाए यह महत्वपूर्ण है। मंत्र का लघु (छोटा) होना महत्वपूर्ण है जैसे अणु कितना छोटा है और चमत्कार कितना है। 

विदेशों में मुख्य रूप से अमरीका के ओहियो विश्वविद्यालय में मंत्र विज्ञान पर शोध कर यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि हनुमान चालीसा और सामवेद के मंत्रों से कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि में कमी हुई, यहां तक कि मंत्र चिकित्सा सेवा में कई हजार लोगों का क्लीनिकल परीक्षण हुआ। जिसमें अस्थमा 70 प्रतिशत, स्त्री रोग 65 प्रतिशत, चिंता, त्वचा रोग पर 60 प्रतिशत, ब्लडप्रैशर हाइपरटैंशन 55 प्रतिशत, आर्थाराइटिस और अनेकों कठिन रोगों पर परीक्षण हुआ जिसमें सुधार हुआ।

वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जब कोयल गाती है तो उसमें 500 प्रकार का प्रकम्पन्न होता है और हम कुछ भी अपने मुंह से बोलते हैं तो 175 प्रकार का स्पंदन होता है। 

नवार्ण मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ 

यह मंत्र शुद्ध स्वर में उच्चारण करने से तो सभी प्रकार के पीड़ा रोगों का हरण होता है। सभी रोगों का मुख्य कारण तनाव है जो मंत्रों से समाप्त होता है।

Niyati Bhandari

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