इस शापित मंदिर में जाने से आप बन सकते हैं पत्थर

Wednesday, Mar 06, 2019 - 03:10 PM (IST)

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भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थान, गुफाएं आदि हैं, जिनका रहस्य चौकाने और हैरान करने वाला है। आज हम आपको एक ऐसे ही एक रहस्यमयी स्थान के बार में बताने जा रहे हैं, जिसका बारे में सुनकर शायद इतना हैरान हो जाएंगे कि आप कभी यहां जाने के बारे में सोचेंगे। तो आइए जानते हैं कहां है ये रहस्मयी स्थान और क्या है इसका रहस्य।

जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं इस मंदिर के बारे में मान्यता प्रचलित है कि यहां आने वाला हर इंसान पत्थर बन जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं राजस्थान के खुजराही मंदिर के बारे में। बाहर से ये मंदिर जितना आकर्षित है अंदर से इस मंदिर का इतिहास उतना ही हैरान कर देने वाला है। इस मंदिर के आस-पास के लोगों का मानना है कि इस शहर पर किसी भूत-प्रेत का साया है, तो वहीं कुछ का कहना है कि इस पर किसी साधु के शाप का असर है। जिस कारण यहां आने वाला हर इंसान पत्थर बन जाता है।

कहा जाता है कि किराडू का ये रहस्यमय मंदिर राजस्थान के सभी स्थानों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि आज तक इस मंदिर का असल रहस्य आज तक किसी ने जानने की कोशिश की। 

मंदिर की डरावनी सच्चाई जानने के बाद कोई व्यक्ति यहां शाम तो नहीं जाता। मंदिर के बारे मान्यता है कि कि यहां शाम ढ़लने के बाद जो भी रह जाता है। वह या तो पत्थर का बन जाता है या मौत की नींद सो जाता है। माना जाता है कि मान्यता वर्षों से चली आ रही है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार कुछ सालों पहले किराडू में एक तपस्वी पधारे, जिनके साथ उनकी शिष्यों की एक टोली थी। एक दिन तपस्वी अपने शिष्यों को गांव में छोड़कर देशाटन के लिए चले गए। इसी  बीच शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया, उनकी बिगड़ती हालात को देखकर भी गांव वालों ने इनकी कोई मदद नहीं की। जब साधु तपस्वी जब वापस किराडू लौटे और अपने शिष्यों की ऐसा दुर्दशा देखी तो उन्होंने गांव वालों को शाप दे दिया कि जहां के लोगों के हृदय पत्थर के हैं वह इंसान बने रहने योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के हो जाएं। गांव वालों के अलावा केवल एक कुम्हारन थी जिन्होंने शिष्यों की सहायता की थी। तपस्वी ने उस पर दया करते हुए कहा कि तुम गांव से चली जाओ वरना तुम भी पत्थर की बन जाओगी लेकिन याद रखना जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना।

इसके बाद वो कुम्हारन गांव से चली गई लेकिन उसके मन में यह संदेह होने लगा कि तपस्वी की बात सच भी है या नहीं वह पीछे मुड़कर देखने लगी और वह भी पत्थर की बन गई। कहा जाता है कि सिहणी गांव में कुम्हार की पत्थर की मूर्ति आज भी यहां स्थापित है और उस घटना की याद दिलाती है।

लोगों द्वारा बताया गया है कि किराडु के मंदिरों का निर्माण किसने कराया इस बारे में कोई तथ्य मौजूद नहीं है। कुछ इतिहासकारों का मत है कि किराडु के मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था और इनका निर्माण परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने किया था।
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Jyoti

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