Muni Shri Tarun Sagar: मन पर मर्जी सिर्फ मालिक की रखना

Friday, Jun 02, 2023 - 09:46 AM (IST)

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समय का सदुपयोग
आदमी खाते-पीते, सोते-जागते, उठते-बैठते, चलते-फिरते, आते-जाते सब भूल जाता है पर एक चीज नहीं भूलता- वह है : सांस लेना। श्वास ही जिंदगी है और विश्वास ही बंदगी है। कुदरत हमें हर रोज 1440 मिनट बख्शती है। अब इन 1440 मिनटों का कैसे उपयोग करना है, यह हम पर निर्भर करता है। हम उनका उपयोग जीवन को तीर्थ बनाने में कर सकते हैं या फिर तमाशा बनाने में।



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ज्यादा नहीं टिकती रूप की धूप
आज की दुनिया में सबको अपने अंदर रूप की चिंता है। क्या स्त्री, क्या पुरुष सब रूप के लिए क्या नहीं कर रहे हैं। लेकिन उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि रूप की धूप ज्यादा देर नहीं टिकती। रूप नश्वर है। स्वरूप शाश्वत है। रूप बाहरी है। स्वरूप अंदरूनी है। रूप अनेक हो सकते हैं परंतु स्वरूप तो एक ही होगा। रूप बदल सकता है लेकिन स्वरूप कभी नहीं बदलता। व्यक्ति को अपने रूप की चिंता न कर स्वरूप की चिंता करनी चाहिए।



संसारी और संन्यासी में अंतर
हाथ से छूटे उसका नाम त्याग है और हृदय से छूटे उसका नाम वैराग्य है। त्याग से वैराग्य बड़ा है। जो तन और धन को संभालने में लगा हो, वह संसारी है और जो मन और जीवन को संभालने में लगा है वह संन्यासी है। अपना तन और धन परिवार को दे देना, कोई चिंता नहीं। मगर अपना मन सिवाय अपने प्रभु के और किसी को मत देना क्योंकि मन दुनिया को दिया तो मन खट्टा हो जाएगा। मन पर मर्जी सिर्फ मालिक की रखना।

 

Niyati Bhandari

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