Muni Shri Tarun Sagar: खुद नायक बनो और खलनायक से दूर रहो

Thursday, Apr 13, 2023 - 09:04 AM (IST)

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टकराव से बिखराव
गली संकरी है। कोई राजा उससे निकल रहा हो और अचानक सामने से दौड़ता हुआ सांड आ जाए तो अब राजा क्या करेगा ? क्या यह कहेगा कि ऐ सांड, तू हट जा। यह मेरी गली है। मैं यहां का राजा हूं। तो सांड कहेगा, ‘‘तू राजा, मैं महाराजा, आ जा।’’

राजा की समझदारी इसी में है कि या तो वह चबूतरे पर चढ़ जाएगा या पीछे हट जाएगा। दिन भर हमें कई सांड मिलते हैं पर हमें किसी से टकराना नहीं है क्योंकि टकराव बिखराव का कारण है।

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नकल करो नेकी करने वालों की
यह नकल युग है। आजकल लोग नकल तो करते हैं लेकिन शक्ल की, अक्ल की नहीं। कोई फिल्म हिट हो जाए तो उस हीरो के कपड़ों की नकल चल पड़ती है, उसके ‘हेयर स्टाइल’ की नकल चल पड़ती है।

क्यों ? क्योंकि सबसे अलग दिखना है। अरे भाई, सबसे अलग ही दिखना है तो नेकी करने वालों की नकल करो। नकल करो लेकिन नायक की। खलनायक की नहीं।

खुद नायक बनो
दुनिया में दो तरह के इंसान होते हैं, एक नायक, दूसरा खलनायक। नायक सत्यनिष्ठ होता है, खलनायक पथभ्रष्ट होता है। अपने लक्ष्य के लिए दोनों संघर्ष करते हैं और अंतत: नायक जीतता है, खलनायक हारता है। अत: अपने बच्चों को लायक बनाओ। इसके लिए खुद नायक बनो और खलनायक से दूर रहो। वैसे जैन पर परा नायक-खलनायक बनने की नहीं, मूल नायक बनने की है।

पैसा जेब में, दिमाग में नहीं
पैसा जेब में रखो दिमाग में नहीं। दिमाग में पैसा रखोगे तो दिमाग होगा सातवें आसमान पर और तुम होगे सातवें नरक में और पैसा जेब में होगा तो दुनिया होगी तुम्हारी जेब में और तुम होगे दुनिया की जेब में। पैसा जेब में है तो पैसा हाथ का मैल है और पैसा दिमाग में है तो पैसे के सामने रिश्ते-नाते सब फेल हैं। पैसा कुछ हो सकता है बहुत कुछ हो सकता है पर सब कुछ नहीं।

 

Niyati Bhandari

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