Muni Shri Tarun Sagar: बंधी मुट्ठी लाख की, खुली मुट्ठी सवा लाख की

Tuesday, Dec 06, 2022 - 09:53 AM (IST)

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बंधी मुट्ठी
यह सच है कि बंधी मुट्ठी में ताकत होती है लेकिन उसके लिए सभी उंगलियों को करीब आना होता है। कहते हैं- बंधी मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की। यह सच है मगर अधूरा। पूरा सच यह है कि संत की बंधी मुट्ठी लाख की होती है और खुली मुट्ठी सवा लाख की क्योंकि संत की मुट्ठी में आशीर्वाद होता है और जब भी वह खुलती है तो किसी भाविक को आशीर्वाद मिलता है। बस ! ध्यान रहे, दान बंधी मुट्ठी से करें और ध्यान बंद दृष्टि से करें।

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बेटों के ‘होने’ का सुख
एक महल नुमा बंगला है। उसमें केवल दो लोग रहते हैं। बूढ़ा और बुढ़िया। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बेटे अमरीका में रहते हैं। बेटी-दामाद लंदन में। कभी-कभार बेटों के फोन आ जाते हैं और समाचार ले लेते हैं। बस आजकल के अधिकतर मां-बाप को बेटों का इतना ही सुख है। बेटों के ‘होने’ का सुख है बेटों का नहीं। वे बेसहारा हैं, उनके बुढ़ापे का सहारा किसी और का सहारा बन गया। वे दादा-दादी तो हैं लेकिन उनके पोता-पोती नहीं हैं।

मन:स्थिति  
जीवन के वाक्य में अर्द्धविराम तो होते हैं, फुलस्टाप नहीं। जिंदगी में आप एक-दो बार असफल हो गए तो इसका मतलब यह नहीं कि आपकी सफलता के सारे दरवाजे बंद हो गए। फिर से ट्राई करिए, सफलता जरूर मिलेगी, प्रतिकूलताओं में भी मन मजबूत रखें। यदि मन का हो जाए तो अच्छा और मन का न भी हो तो अच्छा, ऐसी जिसकी मन:स्थिति है, उसे कोई घटना दुखी नहीं कर सकती।

 

Niyati Bhandari

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