Muni Shri Tarun Sagar: जीवन को तुम तीर्थ भी बना सकते हो और तमाशा भी

Thursday, Sep 15, 2022 - 08:36 AM (IST)

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मनुष्य देह एक सीढ़ी है
मनुष्य एक सीढ़ी है। जिस सीढ़ी से नीचे उतरा जाता है, उसी से ऊपर भी चढ़ा जा सकता है। चढ़ने और उतरने की सीढ़ी एक ही होती है। मनुष्य देह भी एक सीढ़ी है। इसी सीढ़ी से ऊपर चढ़ कर तुम प्रभु हो सकते हो और नीचे उतर कर पशु बन सकते हो। जीवन को तुम तीर्थ भी बना सकते हो और तमाशा भी। प्रभु बनना है या पशु? तीर्थ बनाना है या तमाशा? निर्णय तुम्हारे अपने हाथ में है। पड़ोसी से क्या ईर्ष्या करना है तो ईश्वर से करो, पड़ोसी से क्या ईर्ष्या करना? लोग पड़ोसी से ईर्ष्या करते हैं, मेरा एक मंजिला मकान है, पड़ोसी का तीन मंजिला। मेरे घर एक गाड़ी है, पड़ोसी के दो-दो गाड़ियां हैं। पर सोचो-इस ईर्ष्या से क्या होगा ? ज्यादा से ज्यादा तुम्हारा भी तीन मंजिला मकान हो जाएगा, तुम्हारे घर भी दो गाड़ियां हो जाएंगी पर इससे क्या होगा?


 
अरे ईर्ष्या करनी है तो पड़ोसी से नहीं बल्कि टाटा-बिड़ला से करो, ताकि जब तुम ऊंचे उठो तो तुम्हें दुनिया देखे। ईर्ष्या करनी है तो तरुण सागर से नहीं, बल्कि भगवान से करो, ताकि जब तुम दुनिया में न रहो तब भी लोग तुम्हारी पूजा करें।

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मानवता के लिए जहर
कुछ राज्यों की सरकारों ने गुटखे पर प्रतिबंध लगा रखा है, यह स्वागत योग्य कदम है, लेकिन मेरा कहना है कि अकेले गुटखे पर प्रतिबंध से काम नहीं चलेगा। सिगरेट और शराब पर भी प्रतिबंध लगाना होगा, क्योंकि गुटखा तो सिर्फ मानव के लिए जहर है लेकिन शराब पूरी मानवता के लिए जहर है।

 

Niyati Bhandari

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