Muni Shri Tarun Sagar : शरीर श्मशान की धरोहर

Monday, Apr 25, 2022 - 12:09 PM (IST)

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महिलाएं समर्पण में और पुरुष अकड़ में जीते हैं
पता है, पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं लम्बे समय तक जीती हैं। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में विधुरों से ज्यादा विधवाएं हैं क्योंकि स्त्रियां समर्पण में और पुरुष अकड़ में जीते हैं। जो अकड़ में जीता है वह जल्दी टूटता है। दांत जल्दी टूटते हैं, जिह्वा कहां टूटती है ! महिलाएं दुख और क्रोध आया तो रो लेती हैं लेकिन मर्द मूंछों के चक्कर में रोता तक नहीं है, दुख पीड़ा को अंदर ही अंदर दबाता जाता है। फिर एक दिन विस्फोट होता है।

शरीर श्मशान की धरोहर 
व्यक्ति हर साल अपना जन्मदिन मनाता है। मनाना भी चाहिए क्योंकि उम्र कभी कम नहीं होती। लगातार बढ़ती ही जाती है। आपने भी अपना जन्मदिन कई बार मनाया होगा। कभी घर और होटल में तो कभी मंदिर और तीर्थ पर। 

अब मेरा एक सुझाव है, अपना एक दिन जन्मदिन मरघट में जाकर मनाएं क्योंकि बस्ती में रहकर जीवन कभी समझ में नहीं आता। मरघट में रहकर ही जीवन को समझा जा सकता है। वैसे भी शरीर श्मशान की धरोहर है तथा श्मशान एक और घर है जहां देर सवेर सभी को जाकर विश्राम करना है।

एक छोटी सी प्रार्थना
हर सुबह एक छोटी-सी प्रार्थना जरूर करें। कहें, ‘‘हे प्रभु! मेरे पैर अपंगों के पैर बन जाएं, मेरी आंखें अंधों की आंखें बन जाएं। मेरे हाथ बेसहारों के लिए सहारे बन जाएं। दुख और शोक में संतप्त आंसू बहाते लोगों के लिए सांत्वना देने में मेरी जीभ हमेशा काम आए।’’ 

‘‘किसी गरीब और रोगी की सेवा में मेरा पसीना बहे, कोई अतिथि कभी भी मेरे दरवाजे से भूखा-प्यासा न जाए। हे प्रभु! अपने इस बालक को हमेशा इस लायक बना कर रखना प्रभु! मेरा प्रणाम स्वीकारें।’’

आशीर्वाद का पट्टा 
पालतू कुत्ते के गले में पट्टा होता है। उसकी वजह से न तो कोई उसे छेड़ता है, न ही कोई परेशान करता है। अगर तुमने अपने गले में प्रभु नाम और सद्गुरु के आशीर्वाद का पट्टा डाल लिया तो फिर तुम्हें दुनिया की कोई भी आसुरी एवं तामसिक शक्ति नहीं छेड़ सकती।

Niyati Bhandari

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