Muni Shri Tarun Sagar: धन तो बढ़ रहा है पर उम्र घट रही है

Monday, Aug 16, 2021 - 11:35 AM (IST)

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जिंदगी ‘वड-डे’ मैच की तरह
किसी ने मुझसे सवाल किया, ‘‘जिंदगी क्या है?’’

मैंने कहा, ‘‘एक आदमी फुटपाथ पर सिगरेट पीता जा रहा था। पांव के नीचे केले का छिलका आ गया। वह फिसल कर गिर पड़ा और खत्म हो गया। सिगरेट जल रही थी पर आदमी बुझ गया था। बस यही है जिंदगी। जिंदगी वन-डे मैच की तरह है जिसमें रन तो बढ़ रहे हैं पर ओवर घट रहे हैं। मतलब धन तो बढ़ रहा है पर उम्र घट रही है।’’


गरीब और अमीर में फर्क
गरीब और अमीर में एक फर्क है। गरीब को आज की रोटी की फिक्र है तो अमीर को कल की रोटी की फिक्र है। फिक्र दोनों को है। दुनिया में न तो कोई इतना अमीर है जो अपने अतीत को खरीद सके और न ही कोई  इतना गरीब है जो मुस्कराहट का भी दान न कर सके।
ध्यान रखना, ‘‘आदमी अमीर और गरीब मनी (पैसा) के होने या न होने से नहीं होता, बल्कि मन के सोचने और समझने से होता है।’’

दो व्यक्ति आपस में बात कर रहे थे। एक ने कहा, ‘‘यार! मैं ताजमहल बनवाना चाहता हूं पर क्या करूं? मुझे मुमताज ही नहीं मिलती।’’

फिर दूसरे ने कहा, ‘‘यार! मैं भी ताजमहल बनवाना चाहता हूं पर क्या करूं? मेरी मुमताज ही नहीं मरती।’’


हर समस्या का समाधान है तपस्या
अमीर हो या गरीब हर आदमी के सामने समस्या है। समस्या का एक ही समाधान है और वह है तपस्या। खाने के लिए जीना समस्या है और जीने के लिए खाना तपस्या है।


सत्संग का लाभ
मेरा कहना है कि टायर में पंक्चर कहां है, यह जानने के लिए टायर को पानी में डुबोना पड़ता है और मन में खोट कहां है यह जानने के लिए इंसान को सत्संग में जाना पड़ता है। सत्संग वह गंगा है जिसमें कंस डुबकी लगाए तो हंस बनकर और हंस डुबकी लगाए तो परम हंस बनकर निकले।

यदि मच्छर के मुख से बुखार चढ़ सकता है तो महापुरुषों के श्रीमुख से भक्ति का रंग क्यों नहीं चढ़ सकता?  

Niyati Bhandari

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