Muni Shri Tarun Sagar: शेर जैसी दहाड़ और हाथी जैसी चिंघाड़ चाहिए

Friday, Aug 13, 2021 - 09:33 AM (IST)

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Muni Shri Tarun Sagar: कम बोलें, काम का बोलें। आपने कभी ख्याल किया, ‘‘आंखें दो हैं, कान दो हैं, हाथ दो हैं, पांव भी दो हैं लेकिन मुख एक है। क्यों?’’


इसलिए कि देखें ज्यादा, बोलें कम, सुनें ज्यादा, बोले कम, दें ज्यादा, कहें कम, चलें ज्यादा, कहें कम। शब्द सम्पदा है। इसका उपयोग सोच-समझ कर करिए। शब्दों को फिजूल में बर्बाद न करें। जो ज्यादा बोलते हैं उन्हें कोई नहीं सुनता। जो कम बोलते हैं उन्हें हर कोई सुनता है।

‘ओल्ड इज गोल्ड’ का नियम हर जगह लागू नहीं होगा। आयुर्वेदिक दवाई ‘ओल्ड इज गोल्ड’ हो सकती है मगर जिस दवा की बोतल पर ‘एक्सपायरी डेट’ लिखी हो और आप उसके लिए कहें कि ‘ओल्ड इज गोल्ड’ तो चलेगा क्या? नहीं? दी गई तारीख के अंदर दवा का इस्तेमाल करना जरूरी है वरना दवा बेकार है। हर पुराना विचार ठीक ही हो-यह कोई जरूरी नहीं है और नया विचार भी ठीक हो सकता है, यह भी मुमकिन है।

कई बार लोग पूछते हैं आप इतना तेज क्यों बोलते हैं? मैं कहता हूं लोग गहरी नींद सोए हैं। उन्हें जगाना जरूरी है और जब कोई जगाता है तो जगाने वाला दुश्मन नजर आता है। मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूं। लेकिन मेरा मानना है कि जो लोग कुंभकर्ण की नींद सोए हुए हैं उन्हें जगाने के लिए शेर जैसी दहाड़ और हाथी जैसी चिंघाड़ चाहिए।

Niyati Bhandari

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