Muni Shri Tarun Sagar: पल भर का सत्संग आपकी जिंदगी बदल सकता है, बशर्ते

Tuesday, Jul 20, 2021 - 12:07 PM (IST)

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Muni Shri Tarun Sagar: कोल्हू का बैल कभी रास्ता नहीं भटकता पर वह कहीं पहुंचता भी नहीं है। आज का आदमी कोल्हू का बैल-जैसी जिंदगी जी रहा है। वही घर से दुकान और दुकान से घर। आदमी वासना के बिस्तर पर पैदा हुआ, वासना के बिस्तर पर जिया और वासना के ही बिस्तर पर मर गया तो इसमें नया क्या? भले ही आदमी का जन्म वासना के बिस्तर पर हुआ हो लेकिन वह उपासना के प्रस्तर पर जिए और साधना के संस्तर पर मरे-इसी का नाम जिंदगी है।

सत्संग का नशा अद्भुत है। सत्संग का नशा या तो किसी पर चढ़ता नहीं है और चढ़ जाए तो उतरता नहीं है। प्रभु को उतरने को मजबूर कर देता है। जिस प्रकार लोहे पर रंग लगा देने पर उसमें जंग नहीं लगती उसी प्रकार जीवन पर भक्ति-सत्संग का रंग चढ़ जाए तो उस पर वासना रूपी जंग नहीं लगती। सत्संग से वैकुंठ मिलता है। पल भर का सत्संग आपकी जिंदगी बदल सकता है, बशर्ते इसके लिए आप तैयार हों।

एक आदमी ने एक बच्चे से पूछा, ‘‘तुम्हें तैरना आता है?’’ 

बच्चे ने कहा, ‘‘नहीं।’’ 

आदमी ने कहा, ‘‘तुमसे तो अच्छा वह कुत्ता है, कम से कम उसे तैरना तो आता है।’’  

बच्चा बोला, ‘‘अंकल जी! आपको तैरना आता है?’’ 

आदमी बोला, ‘‘हां, मुझे तो तैरना आता है।’’ 

बच्चे ने कहा, ‘‘अंकल जी, फिर आप में और उस कुत्ते में क्या अंतर हुआ?’’ अब बेवकूफ बच्चे पैदा होना बंद हो गए हैं। अत: बच्चों से उलझिए मत बल्कि उनकी उलझनें सुलझाइए।

Niyati Bhandari

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