कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल: दो आदतें सुधार लें, आबो हवा बदल जाएगी

Tuesday, Oct 13, 2020 - 09:49 AM (IST)

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नामुमकिन कुछ भी नहीं
अंग्रेजी का एक शब्द है Impossible जिसका अर्थ है कि मैं नहीं कर सकता। मतलब हारने से पहले ही हार मान लेना। आम लोगों की भी कुछ ऐसी ही धारणा है। मेरा मानना है कि Impossible शब्द में से Im शब्द हटाने पर बचता है possible जिसका अर्थ है कि मैं कर सकता हूं। नामुमकिन कुछ भी नहीं है। दूरी तभी तक है जब तक कि आपने चलना शुरूनहीं किया और रात तभी तक है जब तक कि आप सोए हुए हैं।


जमीन-आसमान
अहंकार व्यर्थ है। अहंकार किस बात का? यहां सभी तो क्षणभुंगर हैं। आसमान को देखो तो सोचना कि हम कभी आसमान से ऊपर नहीं उठ सकते और जमीन को देखो तो सोचना कि हमें एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है। पर सच्चाई तो यह है कि जीवन मिट जाता है किन्तु मनुष्य की इच्छाएं नहीं मिटतीं। इच्छाएं अनंत हैं, आकाश की तरह, असीम हैं। इच्छाओं को नहीं, ‘इच्छा शक्ति’ को बढ़ाओ।


दो आदतें
दो बातों का ध्यान रखें। एक टी.वी. देखते हुए भोजन न करें, दो अखबार पढ़ते हुए चाय न पिएं। आज के जीवन में ये दो जबरदस्त बुराइयां हैं। आप इन्हें अविलंब सुधार लें क्योंकि जब आप टी.वी. देखते हुए खाना खाते हैं और अखबार पढ़ते हुए चाय पीते हैं तो आप सिर्फ खाना और चाय नहीं खाते-पीते, बल्कि उस टी.वी. और अखबार में जो हिंसा, अश्लीलता और भ्रष्टाचार की खबरें होती हैं उन्हें भी खा-पी जाते हैं और फिर वे खबरें आपको अपने से बेखबर कर देती हैं। अगर आम आदमी अपनी ये दो आदतें सुधार ले तो पूरे समाज और देश की आबो हवा बदल सकती है।

Niyati Bhandari

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