Muni Shri Tarun Sagar: ...तो तुम्हारा बुढ़ापा सुख से कट जाएगा

Wednesday, Oct 07, 2020 - 06:39 AM (IST)

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बुजुर्गों को सही सलाह
बच्चों के पैर चंचल होते हैं, जवान व्यक्ति का रोम-रोम चंचल होता है और बूढ़े व्यक्ति की जुबान चंचल होती है। बूढ़े आदमी को नपा-तुला बोलना चाहिए। अपने बहू-बेटों को अनावश्यक सलाह नहीं देनी चाहिए। बूढ़े व्यक्ति को अपने मुख से या तो आशीर्वाद के शब्द निकालने चाहिएं या फिर मौन रहना चाहिए। तुम्हारा बेटा-बहू, पोता-पोती कुछ भी अच्छा करें तो उन्हें शाबाशी दो। बार-बार टोका-टाकी मत करो। कहो-बहुत अच्छा बेटा, तुमसे यही उम्मीद थी। हमेशा खुश रहो। बुजुर्गो, अगर तुमने ऐसा किया तो तुम्हारा बुढ़ापा सुख से कट जाएगा।


मौत का सफर
दिल्ली का सफर करना हो तो कितनी तैयारी करते हो और मौत के लिए? मौत का सफर भी बड़ा लम्बा है। इस सफर में अंधेरे रास्तों से गुजरना पड़ता है और रास्ते में दाएं-बाएं मुड़ने के न तो कोई निशान होते हैं और न ही किसी मोड़ पर हरी लाल बत्ती जल रही होती है। इतना ही नहीं चीख पुकार करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं मिलता। यहां तुम्हारे घर में चाहे अन्न के भंडार भरे पड़े हों पर वहां सफर में आटे की एक चुटकी भी साथ नहीं ले जा सकते। भीषण गर्मी में जान सूखती है पर नीम का एक पत्ता तक सिर ढंकने को नहीं मिलता। संकट की इस घड़ी में सिर्फ भगवान का नाम ही सहारा होता है।


अर्थी उठने से पहले
किसी की अर्थी को सड़क से गुजरते हुए देखकर यह मत कहना कि बेचारा चल बसा। अपितु उस अर्थी को देखकर सोचना कि एक दिन मेरी अर्थी भी इन्हीं रास्तों से इसी तरह गुजर जाएगी और लोग सड़क के दोनों ओर खड़े होकर देखते रह जाएंगे। उस अर्थी से अपनी मृत्यु का बोध लेना क्योंकि दूसरों की मौत तुम्हारे लिए एक चुनौती है। अर्थी उठने से पहले जीवन का अर्थ समझ लेना, वरना बड़ा अनर्थ हो जाएगा। वैसे गधे को कभी नहीं लगता कि उसका जीवन व्यर्थ है।

दो आदतें
दो बातों का ध्यान रखें। एक टी.वी. देखते हुए भोजन न करें, दो अखबार पढ़ते हुए चाय न पिएं। आज के जीवन में ये दो जबरदस्त बुराइयां हैं। आप इन्हें अविलंब सुधार लें क्योंकि जब आप टी.वी. देखते हुए खाना खाते हैं और अखबार पढ़ते हुए चाय पीते हैं तो आप सिर्फ खाना और चाय नहीं खाते-पीते, बल्कि उस टी.वी. और अखबार में जो हिंसा, अश्लीलता और भ्रष्टाचार की खबरें होती हैं उन्हें भी खा-पी जाते हैं और फिर वे खबरें आपको अपने से बेखबर कर देती हैं। अगर आम आदमी अपनी ये दो आदतें सुधार ले तो पूरे समाज और देश की आबो हवा बदल सकती है।

Niyati Bhandari

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