कड़वे प्रवचन लेकिन सच्चे बोल- मुनि श्री तरुण सागर जी

Wednesday, Jul 15, 2020 - 08:34 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

मौत पूछ कर नहीं आती 
आदमी से कहो : भाई! धर्म ध्यान किया कर तो आदमी कहता है - दिल तो बहुत करता है पर क्या करूं? फुर्सत नहीं मिलती। अरे पगले! तो क्या मरने के बाद फुर्सत मिलेगी? तुझे पता होना चाहिए कि जो समय तू भक्ति के लिए निकाल रहा है वही समय-समय पर तेरे काम आएगा। वह तो अच्छा हुआ कि मौत पूछकर नहीं आती वरना आदमी उससे भी कह दे कि अभी फुर्सत नहीं है।

प्रभु की रजा में राजी रहें
जो मिला, जैसा मिला इसके लिए कोई शिकायत न करें और अगर मनपसंद मिल गया तो गुमान न करें। हर घटना को प्रभु का प्रसाद मानें और उसकी रजा में राजी रहें। जो जिंदगी के विषाद को भी प्रभु का प्रसाद मानकर चलता है उसके लिए विषाद भी आशीर्वाद बन जाया करता है। प्रभु से इस बात की शिकायत न करो कि तुम्हें औरों से कम मिला है बल्कि इस बात के लिए धन्यवाद दो कि उसने तुम्हें तुम्हारी पात्रता से ज्यादा दिया है।

नौकर बनाम मां-बाप
पति-पत्नी शहर में रहते थे। दोनों नौकरी करते थे। उनके संतान पैदा हुई। अब समस्या यह थी कि उसे संभाले कौन? 
पत्नी बोली, ‘‘एक आया रख लेते हैं।’’

पति बोला, ‘‘भरोसेमंद नौकर ठीक रहेगा।’’

अंतत: यह तय हुआ कि गांव में मां-बाप को शहर बुला लिया जाए। 

हमें मां-बाप की जरूरत नहीं बल्कि अपनी जरूरतों की वजह से मां-बाप की जरूरत है। उन्हें अपनी जरूरत न बनाएं, आप मां-बाप की जरूरत बनिए।


 

Niyati Bhandari

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