इस देवी के दर्शन करने से पल में बदल जाती है किस्मत

Saturday, May 18, 2019 - 03:33 PM (IST)

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भारत देश का कोना-कोना विभिन्न प्रकार के धार्मिक स्थलों से भर पड़ा है। आज हम बताने जा रहे हैं मुबंई देश में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में जो प्राचीन तो है ही बल्कि बहु प्रसद्धि भी है। मुबंई जिसे सपनों का शहर कहा जाता है। जहां इतना शोर है जितना देश में शायद कहीं और नहीं। लेकिन क्या आप जानते हैं यहां एक ऐसा स्थान है जिसको एक मंदिर से अपनी पहचान मिली। जी हां, जहां मुंबई को आकर्षण का मुख्य केंद्र यहां रहने वाले बड़े-बड़े कलाकर और बिज़नेसमेन को माना जाता है। वहीं यहां स्थापित एक ऐसा मंदिर भी है जो मुबंई शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक है।

हम जानते हैं ये सब जानने के बाद आप इस मंदिर के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक हो गए होंगे। तो चलिए आपके इंतज़ार को और न बढ़ाते हुए बताते हैं इस मंदिर के बार में जिसे देवी मां के नाम से जाना जाता है।

कहा जाता है कि सालों पहले मुंबई एक उजाड़ शहर माना जाता था। शुरुआती दौर में मुंबई मछुआरों की बस्ती हुआ करती थी। लेकिन इस शहर ने आज जो मुकाम हासिल किया है उसका श्रेय देवी मां के इस चमत्कारी मंदिर को जाता है।

बता दें जिस चमत्कारी मंदिर की बात कर रहे हैं वह मुंबई शहर में स्थापित मुंबा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। कहा जाता है मुंबा देवी का यह स्वरूप मां लक्ष्मी का ही रूप है। यहां के लोगों का मानना है की इन्हीं की कृपा से मुंबई देश की आर्थिक राजधानी बन सका है। मां मुंबा देवी को मुंबई की ग्रामदेवी के रूप में पूजा जाता है। यहां हर शुभ काम से पहले मां का पूजन-अर्चन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना यहां के मछुआरों ने समुद्र में आने वाले तूफानों से अपनी रक्षा के लिए की थी। जिसके बाद इसे मुंबा देवी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं मुंबा देवी के नाम पर ही मुंबई शहर का नामकरण हुआ।

दिन के हिसाब से बदलता है देवी का वाहन
कहते हैं दिन के हिसाब हर रोज़ देवी मुंबा का वाहन बदलता है। सोमवार को मां नंदी पर सवार होती हैं, मंगलवार को हाथी की सवारी करती हैं। बुधवार को मुर्गा तो गुरुवार को मां गरुड़ पर सवार होती हैं। शुक्रवार को सफ़ेद हंस पर तो शनिवार को फिर से हाथी की सवारी करती हैं। वहीं रविवार को मां का वाहन सिंह होता है।

चांदी के वाहन
जिन वाहनों पर मां मुंबा हर दिन जिन पर सवार होती हैं,उनका निर्माण चांदी से कराया गया है। बता दें मंदिर में प्रतिदिन 6 बार आरती होती है।

मंदिर से जुड़ी कथा
किंवदंतियों के अनुसार, देवी मुंबा को ब्रह्माजी ने अपनी शक्ति से प्रकट किया था। स्थानीय लोग मुंबारक नाम के एक राक्षस से परेशान होकर ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, तब उन्होंने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर मुंबा देवी को प्रकट किया। जिसके बाद देवी मां ने राक्षसों का संहार किया।

Jyoti

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