आनंद से करें हर काम, मिलेगी सफलता ही सफलता

Wednesday, Feb 10, 2021 - 04:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक व्यापारी था। उसकी पत्नी का देहांत हो गया तो छोटा बेटा उसके साथ दुकान में आने लगा। वह खूब शरारतें करता। जो भी ग्राहक आता, वह उसकी पगड़ी या टोपी उतारकर फैंक देता। दुकानदार उसे समझाता लेकिन उसकी आदत नहीं बदली।

दुकानदार परेशान था कि एक महात्मा आए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बेटे को ठीक कर दूंगा पर शर्त यह है कि तुम बेटे के कामों में रोक-टोक नहीं करोगे।’’
 
दुकानदार राजी हो गया।

अगले दिन महात्मा सिर पर साफा बांधकर दुकान पर आए। जैसे ही महात्मा बैठे, लड़के ने उनका साफा उतारकर सड़क पर फैंक दिया। महात्मा ने हंसकर कहा, ‘‘शाबाश बेटे! अब जरा इसे मेरे सिर पर तो बांध दो।’’ लड़के ने साफा उलटा-सीधा उनके सिर पर लपेट दिया। अगले दिन महात्मा फिर उसकी दुकान पर आए। उनके सिर पर साफा था। पर वह दुकान के सामने एक लकड़ी का टुकड़ा और छोटी कुल्हाड़ी डाल आए थे। उन्होंने लड़के को अपने पास बुलाया और कहा, ‘‘बेटा, उस कुल्हाड़ी को उठाकर जरा लकड़ी के टुकड़े कर देना।’’ 

लड़के ने कुल्हाड़ी उठाई और लकड़ी को काटने लगा।

महात्मा ने सात दिन तक उससे कुछ न कुछ करवाया। उसके बाद बच्चे की साफा उतारने की आदत एकदम छूट गई। उसने महात्मा से कहा, ‘‘आपने यह क्या चमत्कार कर दिया?’’

महात्मा बोले, ‘‘हम लोग दिन भर में बच्चे से बीसियों बार कहते हैं-यह मत कर, वह मत कर, लेकिन एक बार भी यह नहीं कहते कि यह कर। बालक कुछ करना चाहता है। तुमने देखा, जब-जब मैंने तुम्हारे लड़के से कुछ करने को कहा, उसने कितने आनंद से उस काम को किया।’’

 दुकानदार ने अपनी भूल समझी।

Jyoti

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