फकीर ने नवाब को दी ये सीख

Thursday, Jan 25, 2018 - 12:57 PM (IST)

एक बार एक नवाब की राजधानी में एक फकीर आया। फकीर की कीर्ति सुनकर नवाब पूरे ठाठ के साथ भेंट के थाल लिए हुए फकीर के पास पहुंचा। तब फकीर कुछ लोगों से बातचीत कर रहा था। उसने नवाब को बैठने का निर्देश दिया। जब नवाब का नंबर आया तो फकीर ने नवाब को बुलाया। 
नवाब ने भेंटों के थाल फकीर की ओर बढ़ा दिए। भेंट के हीरे-जवाहरातों से भरे थालों को फकीर ने छुआ तक नहीं, हां बदले में एक सूखी रोटी नवाब को दी और कहा कि ‘‘इसे खा लो।’’ 
रोटी सख्त थी, नवाब से चबाई नहीं गई। तब फकीर ने कहा, ‘‘जैसे आपकी दी हुई वस्तु मेरे काम की नहीं, उसी तरह मेरी दी हुई वस्तु आपके काम की नहीं। हमें वही लेना चाहिए जो हमारे काम का हो। अपने काम का श्रेय भी नहीं लेना चाहिए।’’
नवाब फकीर की इन बातों को सुनकर काफी प्रभावित हुआ। नवाब जब जाने के लिए उठा तो फकीर भी दरवाजे तक उसे छोडने आया। नवाब ने पूछा, ‘‘मैं जब आया था तब आपने देखा तक नहीं था, अब मुझे दरवाजे तक छोडऩे भी आ रहे हैं?’’
फकीर बोला, ‘‘बेटा जब तुम आए थे, तब तुम्हारे साथ अहंकार था। अब वह चोला तुमने उतार दिया है, तुम इंसान बन गए हो। हम इंसानियत का आदर करते हैं।’’ नवाब नतमस्तक हो गया।

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