Motivational Concept: चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं, जैसी दिखती हैं

punjabkesari.in Thursday, Sep 15, 2022 - 10:43 AM (IST)

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एक साधु ने अपने शिष्य के साथ रात गुजारने के लिए किसी धनी के घर का दरवाजा खटखटाया। आवाज सुनकर मुखिया बाहर निकलकर आया। वह लोभी व कंजूस स्वभाव का था। 

साधु के आसरा मांगने पर उसने कहा, ‘‘मैं अपने घर के अंदर तो आपको नहीं ठहरा सकता, लेकिन आप चाहें तो गोदाम में रात गुजार सकते हैं।’’ साधु मान गए। वे विश्राम की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी साधु को दीवार में एक सुराख नजर आया। चिंतन करने के बाद साधु उसे भरने में जुट गए। 

दूसरी रात वही संत एक निर्धन किसान के घर आसरा मांगने पहुंचे। किसान और उसकी पत्नी ने प्रेम से उनका स्वागत किया।  सुबह होते ही साधु व उनके शिष्य ने देखा कि किसान का बैल खेत में मृत पड़ा था। वह बैल किसान की रोजी-रोटी का सहारा था।

यह देखकर शिष्य ने साधु से कहा, ‘‘गुरुजी, आपके पास तो अनेक सिद्धियां हैं, फिर आपने यह सब कैसे होने दिया? उस धनी के पास तो इतना कुछ था, फिर भी आपने उसके गोदाम की मुरम्मत करके उसकी सहायता की, जबकि किसान ने गरीब होते हुए भी हमारा इतना सम्मान किया, फिर आपने कैसे उसके बैल को मरने दिया।’’

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साधु बोला, ‘‘चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं, जैसी दिखती हैं।’’ साधु ने कहा ‘‘उस धनी के गोदाम में सुराख से मैंने देखा उस दीवार के पीछे स्वर्ण का भंडार था। मैंने उस सुराख को बंद कर दिया, ताकि स्वर्ण का भंडार गलत हाथ में न लग जाए।’’

उधर, किसान के घर में जब हम आराम कर रहे थे तो उसी रात किसान की पत्नी की मौत लिखी थी। जब यमदूत उसके प्राण हरने आए तो मैंने उन्हें रोक दिया। चूंकि यमदूत खाली हाथ नहीं जा सकते थे, इसलिए मैंने उनसे किसान के बैल के प्राण हरने के लिए कहा।’’ 

यह सुनकर शिष्य अपने गुरु के समक्ष नतमस्तक हो गया।


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Content Writer

Jyoti

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