‘सच्चे नाम’ का स्मरण करने वाले के पास नहीं भटकती ये चीज़ें

Monday, Aug 29, 2022 - 05:14 PM (IST)

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एक छोटा सा गांव था। वहां से बारात गई। यह उन दिनों की बात है जब कई-कई दिन बारात को रखा जाता और बारातियों की सेवा होती थी। इसलिए पूरा गांव ही सिमट कर बारात में जाता था और घर में पीछे रखवाली के लिए दो-चार लोग ही रहते थे।उस गांव के एक घर के सभी सदस्य बारात में गए, सिर्फ एक आदमी घर पर रहा। चोरी करने के मकसद से चोर उसी घर में घुसे। चोरों ने यह पता करने के लिए पत्थर फैंका कि घर में कोई है कि नहीं।

घर का मालिक समझ गया कि यह चोरों का काम है। अगर चोरों को पता चल गया कि घर में अकेला मैं ही हूं तो वे सब कुछ लूट कर ले जाएंगे, इसलिए उसने झूठमूठ ही नाम लेने शुरू कर दिए। जैसे ही पत्थर गिरा वह बोला, ‘‘महिंद्र सिंह देखना यह पत्थर किसने मारा है, किसकी इतनी हिम्मत हुई है? तूने भी नहीं देखना तो सुरेंद्र को बोल देखने के लिए और कमलेश कहां सो रहा है? शेर सिंह को जगा कर पूछ कि शमशेर सिंह कहां है?’’

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चोरों ने सोचा, ‘‘अरे बाप रे! यहां तो बहुत सारे लोग हैं,’’ और वे वहां से उल्टे पैर लौट गए। नाम झूठे थे और चोर सच्चे थे पर झूठे नाम का उच्चारण करने से ही वे भाग गए। अब सोचिए कि अगर ईश्वर के सच्चे नाम का स्मरण करेंगे तो काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे सभी झूठे चोर कैसे नहीं भागेंगे!  —उदय चंद्र लुदरा

Jyoti

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