कड़वाहट किसी को भी पसंद नहीं, शब्दों में घोलें मिठास

Saturday, Aug 06, 2022 - 03:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म 
एक राजकुमार था, जो प्रजा को परेशान करता था। उसकी उद्दंडता दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही थी। राजा ने अनेक बार उसे प्यार से समझाना चाहा पर उस पर कुछ भी असर नहीं होता था। एक बार उस नगर में भगवान  बुद्ध आए। राजा उनके पास गया और निवेदन किया-भगवन्! आप राजकुमार को समझा सकें तो मैं आप का उपकार जीवन भर नहीं भूलूंगा।

तथागत बुद्ध एक दिन घूमते हुए राजकुमार के पास पहुंच गए। बड़े ही प्यार से उससे वार्तालाप करते रहे। पास में एक पौधा था। उसकी ओर संकेत करते हुए कहा, वत्स! जरा इन पत्तों को चखो, कैसा स्वाद है इसका?

राजकुमार ने पांच-दस पत्ते तोड़कर चबा लिए किन्तु सारा मुंह कड़वाहट से भर गया। तुरन्त उसने थूक भी दिया पर कड़वाहट नहीं मिटी। गुस्से में आकर उसने कहा, यह जहरीला है। इसे नष्ट कर देना चाहिए। ऐसा कहकर उसने पौधे को जड़ से उखाड़ दिया। बुद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा-राजकुमार! तुमने यह क्या किया।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

राजकुमार ने कहा-भगवन्! यदि यह पौधा बढ़ जाएगा तो विष वृक्ष ही बन जाएगा, इसलिए मैंने इसे जड़ से ही उखाड़ दिया। तथागत बुद्ध ने कहा-वत्स! तुम्हें ये कड़वी पत्तियां पसंद नहीं हैं। दरअसल, कड़वा किसी को पसंद नहीं होता। राजकुमार! तुम्हारे कटु व्यवहार से जनता भी पीड़ित है। वह भी तुम्हें नष्ट करना चाहती है।

यदि तुम्हें जन-जन का प्रियपात्र बनना है तो अपने व्यवहार को मृदु बनाओ, नहीं तो इस पौधे की तरह तुम्हारी भी यही दशा हो जाएगी। महात्मा बुद्ध के उपदेश का ऐसा असर हुआ कि राजकुमार के जीवन का नक्शा ही बदल गया। सभी के प्रति उसका व्यवहार मधुर हो गया।
—आचार्य ज्ञानचंद्र

Jyoti

Advertising