Motivational Concept: विषम परिस्थिति में संतुलन बनाए रखें

Thursday, Aug 04, 2022 - 10:47 AM (IST)

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अमरीका के राष्ट्रपति एंड्रू जोन्सन भाषण दे रहे थे। भाषण में वे अपने जीवन की प्रगति का उल्लेख करते हुए कह रहे थे कि मैंने किस प्रकार पुरुषार्थ से प्रगति की है। भाषण सभा में उनके निकट का एक परिचित व्यक्ति भी बैठा था। वह राष्ट्रपति से ईष्र्या करता था। उन्हें इतने बड़े पद पर प्रतिष्ठित देखकर जल रहा था। जगह-जगह उनकी निंदा भी करता था। भाषण के बीच में ही उसने कहा, आज आप राष्ट्रपति हैं, पर एक दिन आप दर्जी थे। कपड़े सिलाई करते थे, यह स्मरण है न! वह मन ही मन सोच रहा था, इस बात को सुनकर राष्ट्रपति लज्जा से जमीन में गड़ जाएंगे पर राष्ट्रपति बिना घबराए बोले-

महानुभाव! आपका कथन यथार्थ  है। मैं प्रारंभ में दर्जी था। राष्ट्रपति पद पर प्रतिष्ठित होने में, दर्जी का धंधा मेरे लिए वरदान के रूप में रहा है। मैंने वह धंधा बहुत ही प्रामाणिकता के साथ किया था और सिलाई के कार्य में मैंने विशेष योग्यता प्राप्त की थी। मैंने उस समय किसी भी ग्राहक का तनिक मात्र भी कपड़ा चुराया नहीं, कपड़ा सिलाई करने के पश्चात जो भी कपड़ा  बच जाता वह भी उसे लौटा देता और जो भी समय बताता उसी समय कपड़ा अच्छी तरह से सिलाई करके दे देता।

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इस प्रामाणिकता के कारण मैंने अपनी प्रगति की है और दर्जी के कार्य का गौरव भी बढ़ाया। ऐन्ड्रू जोन्सन के स्पष्टीकरण को सुनकर वह व्यक्ति लज्जित हो उठा और श्रोताओं में राष्ट्रपति के प्रति सम्मान और सदभावना जागृत हो गई। अत: विषम परिस्थिति में भी जो अपने आपको संतुलन में बनाए रखता है वही महान बनता है। प्रतिकूलता को झेलने की मानसिकता तैयार न हो तो मन व्याकुल हो जाता है। —आचार्य ज्ञानचंद्र
 

Jyoti

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