Inspirational story: डॉ राजेन्द्र प्रसाद की ये कथा छू लेगी आपका दिल

Monday, Jul 04, 2022 - 02:14 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बारह वर्षों के लिए राष्ट्रपति भवन राजेन्द्र प्रसाद का घर था। उसकी राजसी भव्यता और शान सादगी में बदल गई थी। राष्ट्रपति का एक पुराना नौकर था, तुलसी। एक दिन सुबह कमरे की झाड़ पोंछ करते हुए उसे राजेन्द्र प्रसाद जी के डेस्क से एक हाथी के दांत का पैन नीचे जमीन पर गिर गया। पैन टूट गया और स्याही कालीन पर फैल गई। राजेन्द्र प्रसाद बहुत गुस्सा हुए। यह पैन किसी की भेंट थी और उन्हें बहुत ही पसंद थी। तुलसी आगे भी कई बार लापरवाही कर चुका था। उन्होंने अपना गुस्सा दिखाने के लिए तुरन्त तुलसी को अपनी निजी सेवा से हटा दिया।

उस दिन वह बहुत व्यस्त रहे। कई प्रतिष्ठित व्यक्ति और विदेशी पदाधिकारी उनसे मिलने आए। मगर सारा दिन काम करते हुए उनके दिल में एक कांटा सा चुभता रहा था। उन्हें लगता रहा कि उन्होंने तुलसी के साथ अन्याय किया है। जैसे ही उन्हें मिलने वालों से अवकाश मिला राजेन्द्र प्रसाद ने तुलसी को अपने कमरे में बुलाया। पुराना सेवक अपनी गलती पर डरता हुआ कमरे के भीतर आया। उसने देखा कि राष्ट्रपति सिर झुकाए और हाथ जोड़े उसके सामने खड़े हैं।
 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

उन्होंने धीमे स्वर में कहा, ‘‘तुलसी मुझे माफ कर दो।’’

तुलसी इतना चकित हुआ कि उससे कुछ बोला ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने फिर नम्र स्वर में दोहराया, ‘‘तुलसी, तुम क्षमा नहीं करोगे क्या?’’

इस बार सेवक और स्वामी दोनों की आंखों में आंसू आ गए। अंतत: तुलसी को कहना पड़ा, ‘‘ठीक है, क्षमा किया।’’

उस दिन से तुलसी फिर राजेन्द्र प्रसाद की सेवा में लग गया।

Jyoti

Advertising